प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने महंगाई पर काबू पाने को अपनी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुये कहा कि विश्व बाजार में उपभोक्ता वस्तुओं और कच्चे तेल के दाम बढने से कीमतें बढ़ रही हैं.
ऐतिहासिक लालकिले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम संबोधन में सिंह ने कहा, ‘बढ़ती कीमतों को काबू में लाना किसी भी सरकार की पहली जिम्मेदारी होती है.. कई बार हमें ऐसी स्थिति का सामना करना होता है जहां बढ़ती कीमतों की असली वजह देश से बाहर होती है. हाल के दिनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों, खाद्यान्न और खाद्य तेल के दाम तेजी से बढ़े हैं.’
उन्होंने कहा कि विशेषकर खाद्य वस्तुओं की कीमतें पिछले कई महीनों से लगातार उच्च स्तर पर बनी हुई हैं. सामान्य और खाद्य मुद्रास्फीति महंगाई के दोनों ही आंकड़े दहाई अंक के नजदीक बने हुये हैं. इससे आम आदमी को परेशानी हो रही है और उधारी भी महंगी हो रही है, इसका सीधा असर आर्थिक गतिविधियों पर पड़ रहा है.
सिंह ने कहा कि पिछले कुछ सप्ताहों को छोड़कर अंतरराष्ट्रीय बाजार में उपभोक्ता वस्तुओं और कच्चे तेल के दाम बढ़ते आ रहे हैं, इसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है, जो कच्चे तेल की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिये काफी कुछ आयात पर निर्भर है.
उल्लेखनीय है कि खाद्य मुद्रास्फीति गत 30 जुलाई को समाप्त सप्ताह में बढ़कर 9.90 प्रतिशत पर पहुंच गई जबकि सकल मुद्रास्फीति जून माह में 9.44 प्रतिशत पर रही. मनमोहन ने कहा, ‘हमारा देश लगातार उच्च मुद्रास्फीति के दौर से गुजर रहा है, मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम स्थिति पर लगातार नजर रखे हुये हैं और यह पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि बढ़ती कीमतों को रोकने के लिये किस तरह के नये कदम उठाये जा सकते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘आने वाले महीनों में इस समस्या का हल निकालना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी.’ आगे के रास्ते को लंबा और कठिन बताते हुये प्रधानमंत्री ने कहा, ‘विशेषकर, देश के भीतर और बाहर की मौजूदा परिस्थिति इस तरह की है कि यदि हमने समझदारी और सहनशीलता के साथ काम नहीं किया तो हमारी सुरक्षा और समृद्धता पर इसका बुरा असर पड़ेगा.’
उन्होंने कहा, आज पूरी दुनिया भारत में एक प्रमुख आर्थिक ताकत की सभी मुख्य संभावनाओं को देख रही है, लेकिन इस आर्थिक ताकत के रास्ते में ‘भ्रष्टाचार की समस्या एक बड़ी रुकावट बनकर खड़ी है.’ प्रधानमंत्री ने मूल्यवृद्धि की समस्या के हल का सुझाव देते हुये कहा कि आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं की आपूर्ति बढ़ाकर महंगाई की समस्या से निपटा जा सकता है.
उन्होंने देश के किसानों की प्रशंसा भी की और कहा उन्होंने देश का खाद्यान्न उत्पादन रिकार्ड स्तर तक पहुंचाया है. कृषि मंत्रालय के चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार फसल वर्ष 2010-11 के दौरान देश का खाद्यान्न उत्पादन 24 करोड़ 15 लाख 60 हजार टन की रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है. उन्होंने कहा, ‘मैं देश के किसानों को इस साल उनकी सफलता के लिये बधाई देता हूं,.. गेहूं, मक्का, दलहन और तिलहन सभी में रिकार्ड उत्पादन हासिल हुआ है.. आज खाद्यान्नों, चीनी और कपास के निर्यात के प्रस्ताव हमारे सामने हैं.’