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मुंबई हमले में बरी हुआ आरोपी तहव्‍वुर हुसैन राणा

अमेरिका की एक अदालत ने मुंबई हमलों के मामले में आरोपी पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर हुसैन राणा को हमलों में सहयोग करने के आरोप से बरी कर दिया.

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अमेरिका की एक अदालत ने मुंबई हमलों के मामले में आरोपी पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर हुसैन राणा को हमलों में सहयोग करने के आरोप से बरी कर दिया.

हालांकि उसे लश्कर-ए-तय्यबा को साज-ओ-सामान उपलब्ध कराने और डेनमार्क में एक आतंकवादी साजिश में मदद करने का दोषी ठहराया गया है. राणा मुंबई हमलों में डेविड कोलमन हेडली के साथ सह आरोपी था. 12 सदस्यीय ज्यूरी ने दो दिन के विचार-विमर्श के बाद इस फैसले की घोषणा की.

अमेरिकी न्याय विभाग के एक वक्तव्य में कहा गया है कि राणा को दो आरोपों के मामले में 30 साल की अधिकतम सजा हो सकती है और उसे बिना मुचलके के हिरासत में रखा जा सकता है. अब तक सजा सुनाए जाने की तारीख तय नहीं हुई है.इस फैसले की घोषणा अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट जज न्यायमूर्ति हैरी डी लिनेनवीबर ने की.

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न्याय विभाग के प्रवक्ता रैंडेल सैम्बोर्न ने बताया, ‘संघीय अदालत की ज्यूरी ने राणा को डेनमार्क में आतंकवादी साजिश के लिए साज-ओ-सामान उपलब्ध कराने और लश्कर-ए-तय्यबा को साज-ओ-सामान मुहैया कराने के आरोप में दोषी ठहराया है. उसे मुंबई हमलों की साजिश में साज-ओ-सामान उपलब्ध कराने का दोषी नहीं ठहराया गया.’ राणा फैसला सुनने के बाद स्तब्ध रह गया.

शिकागो की अदालत में तीन सप्ताह तक चली सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया गया है. अभियोजकों ने आरोप लगाया कि राणा को मुंबई हमलों के बारे में जानकारी थी और वह आतंकवादी गुटों और पाकिस्तान में उनके नेताओं के संपर्क में था.

दूसरी ओर राणा के एटॉर्नी ने कहा कि हेडली ने हर बार झूठ बोलकर राणा को बेवकूफ बनाया. पाकिस्तानी मूल का अमेरिकी नागरिक हेडली मुकदमे के दौरान सरकारी गवाह था. हेडली ने अमेरिकी अधिकारियों के साथ एक समझौता कर लिया था, जिसके तहत उसे दूसरे संदिग्धों के खिलाफ गवाही देनी थी. इस समझौते के तहत ऐसा किए जाने पर उसे न तो मौत की सजा दी जाती और न ही भारत, पाकिस्तान या डेनमार्क प्रत्यर्पित किया जाता.

न्याय विभाग के इस वक्तव्य में बताया गया है कि शिकागो में आव्रजन का व्यवसाय चलाने वाले राणा को डेनमार्क के एक अखबार के खिलाफ आतंकवादी साजिश में शामिल होने और पाकिस्तान में मौजूद आतंकी गुटों को साज-ओ-सामान उपलब्ध कराने का दोषी ठहराया गया है. इसमें कहा गया है, ‘राणा को 16 मई से अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में शुरू हुए मुकदमे में दो दिन के विचार-विमर्श के बाद संघीय ज्यूरी ने दोषी ठहराया है.

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ज्यूरी ने उसे मुंबई में नवंबर, 2008 में हुए हमले में साज-ओ-सामान मुहैया कराने की साजिश के मामले में बरी कर दिया. इस हमले में छह अमेरिकी नागरिकों समेत 160 से भी ज्यादा लोग मारे गए थे.’ न्यायाधीश ने बचाव पक्ष से कहा है कि वह 15 अगस्त तक मुकदमे के बाद के दस्तावेज जमा करे.

राणा के वकील पैट्रिक ब्लेगन ने कहा, ‘हमें नहीं पता कि ज्यूरी क्या सोच रही है.’ उन्होंने कहा, ‘हम इससे बहुत व्यथित हैं.’ ब्लेगन के मुताबिक, राणा को जिन दोनों मामलों में दोषी ठहराया गया है, उन दोनों में उसे 15-15 साल की सजा हो सकती है और इस तरह उसे अधिकतम 30 साल की सजा संभावित है.

उन्होंने कहा कि ज्यूरी ने फैसला किया है कि राणा ने लश्कर को साज-ओ-सामान मुहैया कराया, लेकिन इससे किसी की मौत नहीं हुई. ब्लेगन ने कहा, ‘यह बिखरा हुआ फैसला है. फैसले का मुंबई वाला भाग बहुत अहम है क्योंकि ज्यूरी ने उसे इस आतंकवादी हमले के मामले में दोषी नहीं ठहराया.’

फैसला सुनाए जाने के दौरान अदालत कक्ष में अमेरिकी एटॉर्नी पैट्रिक फिट्ज्गेराल्ड, सहायक एटॉर्नी डेनियल कोलिंस, विकी पीटर्स, बचाव पक्ष के वकील ब्लेगन, राणा की पत्नी समराज, उसकी दोनों पुत्रियां और समराज की मां मौजूद थीं. फैसले की घोषणा के दौरान राणा के परिवार के सदस्य और ब्लेगन तनावग्रस्त दिखाई दे रहे थे.

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घोषणा के बाद फिट्ज्गेराल्ड ने कहा, ‘आतंकियों की मदद करने वालों को हम स्पष्ट संदेश देना चाहते हैं कि जो भी ऐसा करेगा और जो भी हिंसा फैलाएगा, हम उसे कानून की जद में लेकर आएंगे.’

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