बेपनाह मुहब्बत के प्रतीक ताजमहल एवं मुगलिया शानो-शौकत के पर्याय आगरा फोर्ट के मध्य स्थित विवादास्पद ताज हेरीटेज कॉरिडोर को उत्तर प्रदेश की सरकार सुकूनदायी हरित क्षेत्र में तब्दील करना चाहती है. राज्य सरकार ने वन विभाग को इसकी योजना तैयार करने का निर्देश दिया है.
दो विश्व प्रसिद्घ स्मारकों के बीच 80 एकड़ के दायरे में फैला यह कॉरिडोर कूड़ा स्थल एवं कब्रिस्तान में बदल गया है. लम्बे समय तक सियासी हंगामे और कानूनी विवाद का केंद्र रहे इस स्थल को मायावती के शासनकाल में अत्याधुनिक व्यावसायिक केंद्र एवं मनोरंजन पार्क के तौर पर विकसित किए जान की पहल की गई थी. इस परियोजना में घोटाले के आरोप भी मायावती सरकार के खिलाफ लगे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की आपत्ति के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने 2003 में यहां निर्माण कार्य रोकने का आदेश दिया.
जिला वन पदाधिकारी एन.के.जानू ने कहा, 'हां, यह सही है कि मुख्यमंत्री ने मुझे इस सिलसिले में बुलाया था. उन्होंने इस उपेक्षित गलियारे को हरित क्षेत्र में बदलने का प्रयास तेज करने का निर्देश दिया है. जल्द ही इसके लिए फंड उपलब्ध हो जाएगा. वैसे, हमें सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और पुरातत्व विभाग के आदेशों का भी पालन करना होगा.'
एक बार जब यह हरित क्षेत्र में तब्दील हो जाएगा, सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाएगा. फिलहाल, इस खाली भूखंड का इस्तेमाल कूड़ा फेंकने एवं मृत बच्चों को दफनाने के लिए किया जा रहा है. यहां तक कि आस-पास के लोग यहां भ्रूण फेंकने से भी बाज नहीं आते हैं, जबकि कई बार प्रशासन से इसकी शिकायत की गई है. जगह-जगह यहां पत्थर की पट्टिका लगी मिल जाएंगी, जो इनके अंदर लाश को दफन किए जाने की पुष्टि करती हैं.
ताज गंज श्मशान, जिसे मोक्षधाम भी कहते हैं, का प्रबंधन करने वाले निकाय क्षेत्र बजाजा कमिटी के एक अधिकारी ने बताया, 'एक ओर जहां ताज कॉरिडोर राजनीति के मलबे के नीचे दबा है, वहीं इस इलाके का इस्तेमाल बच्चों की लाशों को दफन करने के लिए हो रहा है. अगर दुनिया के सबसे बड़े आश्चर्यो में से एक ताजमहल से सटे इस इलाके की यह दुर्गति है तो दूसरे स्मारकों के रक्षक भगवान ही हैं.' यहां आने वाले पर्यटक इस गंदे टीले की तस्वीर लेने से भी परहेज नहीं करते जो ताज की बेदाग छवि को धूमिल करने के लिए काफी है.