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यूरोप और विकसित देश मंदी रोकने को कदम उठाएं: मनमोहन

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने यूरो क्षेत्र के संकट का असर विकासशील देशों पर पड़ने के प्रति आगाह करते हुए यूरोप तथा अन्य विकसित देशों से कहा कि वह वैश्विक अर्थव्यवस्था के एक बार फिर मंदी के चक्र में फंसने से रोकने के लिए 'प्रभावी व त्वरित' कदम उठाएं.

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मनमोहन सिंह
मनमोहन सिंह

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने यूरो क्षेत्र के संकट का असर विकासशील देशों पर पड़ने के प्रति आगाह करते हुए यूरोप तथा अन्य विकसित देशों से कहा कि वह वैश्विक अर्थव्यवस्था के एक बार फिर मंदी के चक्र में फंसने से रोकने के लिए 'प्रभावी व त्वरित' कदम उठाएं.

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उन्होंने कहा कि भारत-ब्राजील व दक्षिण अफ्रीका (इबसा) वैश्विक प्रशासन में कमियों को दूर करने के प्रयासों में एकजुट हैं. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के विस्तार पर जोर दिया ताकि यह मौजूदा वास्तविकताओं को परिलक्षित करे. वह यहां इब्सा शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा, 'यूरोप में सरकारी ऋण संकट के साथ साथ अमेरिका, यूरोप व जापान जैसी पारंपरिक रूप से मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की धारणा से वैश्विक वित्तीय व पूंजी बाजारों में नकारात्मक संदेश जा रहा है जो अब परेशानी का संकेत देने लगे हैं.'

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उन्होंने कहा, 'इन घटनाओं के नकारात्मक प्रभावों से विकासशील देश बचे नहीं रह सकते. उनकी अपनी विकासात्मक चुनौतियों से निपटने की क्षमता पर बहुत बुरा असर पड़ा है.' सिंह ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि यूरोप तथा अन्य विकसित देश प्रभावी तथा त्वरित कदम उठाएंगे ताकि पूंजी व वित्तीय बाजारों को शांत किया जा सके तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था को एक बार फिर मंदी के च्रक में फंसने से रोका जा सके.

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उल्लेखनीय है कि जी-20 शिखर सम्मेलन अगले महीने कान, फ्रांस में होना है. इसके मद्देनजर सिंह ने कहा कि इबसा देशों को अपने रुख में समन्वय करना होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रस्तावित वार्ताओं में विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की प्राथमिकतायें पर्याप्त रूप से परिलक्षित हों.

इबसा शिखर सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय संस्थानों तथा संयुक्त राष्ट्र सुधारों के साथ साथ पश्चिमी देशों में जारी आर्थिक व वित्तीय संकट पर मुख्य रूप से चर्चा की जा रही है. सिंह ने कहा, वैश्विक प्रशासन में कमियों पर ध्यान देने के हमारे प्रयासों में हम एकजुट हैं.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार होना चाहिए ताकि यह आज की वास्तविकताओं के अनुरूप हो और इसे वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला करने में अधिक प्रतिनिधिक व प्रभावी बनाया जा सके.' इबसा देशों के एक ही समय संयुक्त राष्ट्र संघ का अस्थाई सदस्य होने के तथ्य को रेखांकित करते हुए सिंह ने कहा कि तीनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र में विचाराधीन विभिन्न मुद्दों पर अपने 'तालमेल तथा सम्बद्धता' का प्रदर्शन किया है.

उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद इबसा के तीनों देशों ने सतत वृद्धि दर हासिल की है और इन देशों का आपसी कारोबार बढ़कर लगभग 20 अरब डालर हो गया है. उन्होंने कहा कि हम 2015 तक इसे 25 अरब डालर करने की दिशा में बढ़ रहे हैं. प्रधानमंत्री ने इबसा ट्रस्ट फंड को अनूठी पहल बताया जिसमें तीनों सदस्य देश 10-10 लाख डालर का योगदान करेंगे.

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