केद्र सरकार और उल्फा के बीच हाल में ही दिल्ली में हुई वार्ता को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक अच्छी शुरूआत बताते हुए कहा है कि इस वार्ता ने उन्हें असम और उत्तर-पूर्वी राज्यों के भविष्य के प्रति आशा प्रदान की है.
गुवाहाटी के प्रागज्योति आईटीए सभागार में साल 2008 और 2009 का फखरूद्दीन अली अहमद मेमोरियल पुरस्कार प्रदान करने के बाद सिंह ने कहा, ‘हाल में ही नई दिल्ली में उल्फा प्रतिनिधियों से मिलकर मैं काफी खुश था. बातचीत एक अच्छी शुरूआत है और इसने मुझे असम और उत्तर-पूर्व के लिए आशा प्रदान की. मेरा विश्वास है कि आपसी समझ बढ़ाने और उलझे हुए सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक दिक्कतों के समाधान के लिए बातचीत ही एकमात्र उपाय है.’ {mospagebreak}
सिंह ने कहा, ‘पिछले कुछ सालों में असम ने अशांत समय को देखा है और राज्य के लोगों को इस बात का श्रेय दिया जाना चाहिए कि उन्होंने सफलतापूर्वक पृथकतावादी ताकतों को हराया है. मैं बहुत खुश हूं कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने राज्य के लिए कई तरह की पहल की है.’
दूसरी तरफ प्रादेशिक और हिल्स परिषदों के बारे में सिंह ने कहा कि इन्होंने वास्तविक जरूरतों को उठाने के लिए बतौर एक मंच काम किया है. सिंह ने कहा, ‘इन परिषदों की क्षमता बढ़ाने के लिए हमें जरूर प्रयास करना चाहिए क्योंकि ये अपनी जिम्मेवारियों को प्रतिक्रियात्मक, उद्देश्यपूर्ण, पारदर्शी और उत्तरदायी तरीके से पूरी करने में सक्षम हैं.’
सिंह ने कहा कि भारतीय समाज की सहनशक्ति और धर्मनिरपेक्षता की एक लंबी परंपरा रही है और देश विचार और रहन-सहन पर हमेशा नए तरीकों को ग्रहण करने के लिए तैयार रहा है. सिंह ने कहा, ‘हमारे बहुधार्मिक और बहुसांस्कृतिक समाज को परिभाषित करने वाले उदार दृष्टिकोण को पोषित और मजबूत करने की जरूरत है.’ {mospagebreak}
गुवाहाटी में 1600 करोड़ रुपए के गुवाहाटी जल आपूर्ति परियोजना का शुभांरभ करते हुए सिंह ने आशा जताई की यह परियोजना गुवाहाटी के ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभ प्रदान करेगी. इसके अलावा उन्होंने अगले 20 सालों में शहरी आधारभूत संरचनाओं को बढ़ाए जाने की बात पर जोर दिया और कहा कि जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीनीकरण मिशन के तहत सरकार मजबूत निवेश को बढ़ावा दे रही है.
इस मौके पर उन्होंने साल 2008 और साल 2009 के फखरूद्दीन अली अहमद मेमोरियल पुरस्कार जीतने वाले लोगों को बधाई दी. साल 2008 का पुरस्कार वरिष्ठ पत्रकार एमजे अकबर और साल 2009 का पुरस्कार गांधीवादी हेमा भराली को मिला है.