केंद्र सरकार और उल्फा के बीच बातचीत को लेकर मध्यस्थता कर रही ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता इंदिरा गोस्वामी ने कहा कि उल्फा के साथ शांति वार्ता को जल्द से जल्द शुरू किया जाना चाहिये.
उन्होंने कहा कि कमांडर इन चीफ परेश बरुआ को शामिल किये बगैर भी उल्फा के साथ शांति बातचीत जितनी जल्दी संभव हो सके शुरू की जानी चाहिये.
पुस्तक लोकार्पण समारोह के मौके से इतर बोलते हुये साहित्यकार गोस्वामी ने कहा, ‘हमें शांति वार्ता को शुरू किये जाने की आवश्यकता है. बरुआ को शामिल किया जाना है लेकिन अगर वह नहीं आ पाते है तो कोई दूसरा रास्ता नहीं है. हमें उनके आने की उम्मीद के साथ ही और उनके बावजूद भी शांति वार्ता को लेकर आगे बढ़ना है.’
गोस्वामी ने कहा, ‘मेरा अरबिंद राजखोवा को सुझाव है कि वह किसी भी तरह प्रतिष्ठा और सम्मान के साथ परेश को वापस लाये.’
शांति बातचीत के सफल होने और बरुआ के बगैर शांति वार्ता की स्थिति में असम में शांति बहाल होने को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि अगर वह वार्ता में शामिल नहीं होते है तो भी लोग शांति चाहते है. प्रत्येक व्यक्ति शांति चाहता है. कोई भी लोगों से बड़ा नहीं है.’