सीबीआई की विशेष अदालत ने आरुषि तलवार हत्या मामले में उसके माता-पिता राजेश और नूपुर तलवार को आरोपी बनाया है. अदालत ने आरुषि-हेमराज के इस दोहरे हत्याकांड में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को भी खारिज कर दिया.
न्यायमूर्ति प्रीति सिंह ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए तलवार दंपति को 28 फरवरी को अदालत के सामने पेश होने का समन जारी किया. आरुषि के अभिभावकों को हत्या, सबूत नष्ट करने, साजिश और अपराध को अंजाम देने का इरादा रखने का आरोपी ठहराया गया है.
अदालत ने सीबीआई रिपोर्ट के खिलाफ दायर राजेश तलवार की याचिका को खारिज कर दिया और अपराधियों को पकड़ने के लिए फिर से जांच करने के लिए कहा.
सीबीआई के वकील आर के सैनी ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘अदालत ने धारा 302, 201 के तहत हुए अपराधों का संज्ञान लेते हुए डॉ. राजेश और नूपुर तलवार को 28 फरवरी को आरोपी के तौर पर पेश होने का समन जारी किया.’’
तलवार दंपत्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 201 (सबूत नष्ट करने) और धारा 34 (एक खास इरादे से कई लोगों द्वारा किए गए किसी कार्य) के तहत आरोपी बनाया गया है. सीबीआई ने मंगलवार को कहा था कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य आरुषि और हेमराज की हत्या के मामले में तलवार दंपति के शामिल होने की ओर इशारा करते हैं.{mospagebreak}
सैनी ने मंगलवार को कहा था, ‘‘हमारा रुख यह है कि जांच अधिकारी की जांच से साबित होता है कि इस मामले में कोई बाहरी व्यक्ति शामिल नहीं था. इसमें नौकर भी शामिल नहीं थे और परिस्थितिजन्य साक्ष्य इस बात की ओर संकेत करते हैं कि जो कुछ भी हुआ, वह केवल अभिभावकों ने ही किया.’’
हालांकि तलवार दंपति की वकील रेबेका जॉन ने कहा कि इस फैसले को खारिज कराने के लिए उपरी अदालत में दस्तक दी जाएगी. अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए रेबेका ने कहा, ‘‘आप लोगों ने (मीडिया) ऐसा माहौल बनाया और यह सब कुछ हुआ.’’
उन्होंने कहा, ‘‘देश में कानून का राज है. हम इस फैसले को ऊंची अदालत में चुनौती देंगे. यह अंतिम फैसला नहीं है. इसे चुनौती दी जा सकती है. हमारे रास्ते खुले हैं.’’
तलवार के वकील सतीश टमटा ने आरोप लगाया था कि सीबीआई की जांच में बहुत-सी कमियां थीं. उन्होंने कहा था, ‘‘हमारा तर्क यह था कि हमने जांच में कई ऐसी कमियां सामने लाने की कोशिश की, जिनका स्पष्टीकरण जरूरी है और जांच इस स्तर पर नहीं रोकी जा सकती. आगे की वैज्ञानिक जांच जरूरी है, ताकि उचित परिणाम सामने आ सकें.’’ टमटा ने डीएनए परीक्षण की जरूरत पर भी बल दिया था.
आरुषि के अभिभावकों ने अदालत में इसके पहले दायर अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि जांच में ‘जान-बूझकर कमियां’ रखी गईं हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि इस मामले में आगे की जांच के आदेश दिए जाने चाहिए, ‘‘ताकि इस जघन्य अपराध में शामिल अपराधियों को पकड़ा जा सके और उन्हें कानून की जद में लाया जाए.’’