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बिहार के मसौदा लोकायुक्त विधेयक से हज़ारे-पक्ष निराश

अन्ना हज़ारे पक्ष ने बिहार के लोकायुक्त विधेयक के मसौदे पर निराशा जाहिर करते हुए कहा कि यह केंद्र के उसी मसौदा विधेयक की प्रतिलिपी है जिसकी काफी आलोचना हुई है और जिसके विरोध में गांधीवादी कार्यकर्ता अगस्त में अनशन पर बैठे थे.

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अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल

अन्ना हज़ारे पक्ष ने बिहार के लोकायुक्त विधेयक के मसौदे पर निराशा जाहिर करते हुए कहा कि यह केंद्र के उसी मसौदा विधेयक की प्रतिलिपी है जिसकी काफी आलोचना हुई है और जिसके विरोध में गांधीवादी कार्यकर्ता अगस्त में अनशन पर बैठे थे.

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हज़ारे-पक्ष की यह टिप्पणी इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि जून में भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ताओं ने दिल्ली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी और राज्य में लोकायुक्त विधेयक को आकार देने में मदद देने का आश्वासन दिया था. इसके बाद नीतीश के आमंत्रण पर हज़ारे-पक्ष के सदस्य पटना भी गये थे और मसौदा तैयार करने के लिये कुछ अहम सुझाव दिये थे.

हज़ारे-पक्ष के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने बयान जारी कर कहा, ‘बिहार सरकार का प्रस्तावित लोकायुक्त विधेयक केंद्र के उस मसौदे की प्रतिलिपी है जिसकी काफी आलोचना हुई है और जिसके विरोध में अन्ना अनशन पर बैठे थे.’ उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद थी कि नीतीश कुमार उत्तराखंड की तर्ज पर ही मजबूत लोकपाल विधेयक बनायेंगे.’

केजरीवाल ने बिहार के प्रस्तावित विधेयक के बारे में कहा, ‘इसमें लोकायुक्त के चयन, निलंबन और उसे हटाने की प्रक्रिया को सरकार के नियंत्रण में रखा गया है. इस तरह यह स्वतंत्र नहीं रह पायेगा. किसी भी सरकारी अधिकारी के खिलाफ जांच करने और अभियोजन चलाने के लिये भी लोकायुक्त को सरकार से अनुमति लेनी होगी.’

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केजरीवाल ने कहा कि बिहार के मसौदा लोकायुक्त विधेयक में प्रावधान है कि निराधार शिकायत दाखिल करने के लिये शिकायतकर्ता को किसी अधिकारी के भ्रष्ट पाये जाने जितनी ही सजा यानी छह महीने से लेकर पांच वर्ष तक के कारावास की सजा होगी. उन्होंने कहा, ‘भ्रष्ट अधिकारियों को सरकार द्वारा शिकायतकर्ता के खिलाफ नि:शुल्क विधिक मदद मुहैया करायी जायेगी. ये वही प्रावधान हैं, जो केंद्र सरकार के लोकपाल विधेयक के मसौदे में मौजूद हैं और जिनके खिलाफ अन्ना को अनशन करना पड़ा था.’

गौरतलब है कि बिहार कैबिनेट ने फैसला किया कि लोकायुक्त विधेयक के मसौदे पर 22 नवंबर तक जनता से सुझाव मांगे जायेंगे. संभावना है कि यह विधेयक दिसंबर में बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जायेगा.

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