टीम अन्ना की कोर कमिटी की गाजियाबाद के कोशांबी में बैठक हुई जिसमें यह विचार उभरकर सामने आया कि भविष्य में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में किसी एक राजनीति पार्टी को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए.
खराब स्वास्थ्य के कारण बैठक में उपस्थित नहीं होने वाले अन्ना हजारे पर अंतिम निर्णय छोड़ दिया गया.
बहरहाल सूत्रों ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर और कुछ अन्य लोगों ने तर्क दिया कि लोकपाल मुद्दे पर अकेले कांग्रेस को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए. पाटेकर ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया लेकिन इस बारे में अपना एक नोट भेज दिया.
इससे पहले टीम अन्ना पर अपने अभियान में कांग्रेस को निशाना बनाने का आरोप लगता रहा था. मजबूत लोकपाल के लिये पिछले महीने अन्ना द्वारा बीच में ही आंदोलन कार्यक्रम छोड़ने के बाद टीम की यह पहली बैठक थी.
बैठक में अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण और अन्य सदस्य शामिल हुए जिसमें उन्होंने भविष्य की रणनीति पर चर्चा की. इसमें आंदोलन की ‘कम अवधि एवं लंबी अवधि में रणनीति’ पर भी चर्चा हुई.
केजरीवाल और भूषण मंगलवार को रालेगण सिद्धि जाएंगे और बैठक से उन्हें अवगत कराएंगे.
सूत्रों ने कहा कि बैठक में शामिल सदस्यों का मानना था कि टीम अन्ना को किसी एक पार्टी को निशाना नहीं बनाना चाहिए.
भूषण ने कहा कि कुछ महत्वपूर्ण सदस्य बैठक में शामिल नहीं हो सकते हैं और इस बैठक के विचार-विमर्श के बारे में वह हजारे एवं अन्य से चर्चा करेंगे.
भूषण ने कहा, ‘हमने विभिन्न सुझावों के लाभ एवं हानि पर चर्चा की. हमने भविष्य के कार्यक्रमों पर विचार किया. हमने विचार किया कि किस तरह आंदोलन को खड़ा किया जाए. कोई निर्णय नहीं किया गया है क्योंकि अन्ना एवं कुछ सदस्य यहां नहीं थे.’ सूत्रों ने कहा कि हजारे भविष्य की कार्रवाई पर अंतिम निर्णय करेंगे.
हजारे बैठक में शामिल नहीं हुए क्योंकि अभी उनकी तबियत ठीक नहीं है. चिकित्सकों ने उन्हें सलाह दी थी कि स्वास्थ्य को देखते हुए वह कम से कम एक महीने तक कोई यात्रा नहीं करें.
अन्य प्रमुख सदस्य किरण बेदी भी बैठक में शामिल नहीं हुई. बेदी ने कहा, ‘मुझे कुछ निजी कार्यक्रमों में जाना जरूरी था. इसलिए मैं बैठक में शामिल नहीं हो सकी.’
मुंबई और दिल्ली में दिसम्बर के अंत में हुए हजारे के आंदोलन में लोगों की अच्छी भीड़ नहीं होने और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन पर कांग्रेस के कटाक्ष के परिप्रेक्ष्य में यह बैठक हुई.
कुछ दिनों पहले ही केजरीवाल ने लेख लिखकर कहा था कि मजबूत लोकपाल के लिये आंदोलन को आगे बढ़ाने को लेकर टीम अन्ना भ्रमित है और कहा कि आंदोलन ‘चौराहे’ पर है और इस मौके पर गलत निर्णय इसके लिये विनाशकारी होगा.