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हिलेरी से बातचीत में आतंक का मसला होगा अहम

अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन भारत में हैं और माना जा रहा है कि दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच बातचीत में आतंक का मसला ही छाया रहेगा.

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हिलेरी क्लिंटन
हिलेरी क्लिंटन

अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन भारत में हैं और माना जा रहा है कि दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच बातचीत में आतंक का मसला ही छाया रहेगा.

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18 जुलाई 2009 को अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन का पहली बार भारत दौरे पर आई थीं. हिलेरी का ये दौरा 26/11 के आतंकी हमलों के साए में था. शायद, इसीलिए वो मुंबई के होटल ताज में ठहरीं और कूटनीति से पहले आंतक के शिकार बने लोगों के घावों पर मरहम लगाने की कोशिश की.

अब 18 जुलाई 2011 को हिलेरी एक बार फिर हिंदुस्तान आई हैं.

दो साल बाद भी हिलेरी का सामना उन्हीं जख्मों से होगा जो भरने के बजाय और गहरे हो गए हैं. हिलेरी का ये दौरा पहले से तय था और एजेंडा भी, लेकिन माना जा रहा है कि 13/7 के धमाकों की गूंज भारत-अमेरिका सामरिक बातचीत के दूसरे चरण में साफ सुनाई देगी.

आंतक से लड़ाई इस स्ट्रैटेजिक डायलॉग का हिस्सा वैसे भी है लेकिन मुबई बम धमाकों के बाद भारत एक बार फिर सीमा पार से आ रहे आतंक पर अपनी चिंतायें अमेरिका के सामने रखेगा.

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विदेश मामलों के जानकार उदय भास्कर कहते हैं, ‘आतंकवाद संसद हमले के बाद से ही भारत और अमेरिका के बीच बड़ा मुद्दा है लेकिन कुछ मतभेद भी हैं.

वैसे मतभेद दोनों देशों के बीच अफगानिस्तान को लेकर भी हैं, खासतौर पर तालिबान से बातचीत को लेकर. जानकार मानते हैं कि पूरे इलाके की शांति और स्थिरता भारत की अपनी सुरक्षा के लिए अहम है.

पूर्व विदेश सचिव सलमान हैदर कहते हैं, ‘यह भारत के लिए सबसे अहम है. अमेरिका अफगानिस्तान से हट रहा है लेकिन भारत नहीं. हम उनके पड़ोसी हैं और हमें वहां की स्थिति का लगातार सामना करते रहना होगा. भारत ने पहले ही यह साफ कर रखा है कि हमें अफगानिस्तान में लंबे समय तक रहना होगा.’

सामरिक बातचीत के इस दूसरे दौर में दोनों देश असैन्य परमाणु सहयोग भी बातचीत करेंगे. न्यूक्लियर डील साइन होने के बावजूद दोनों देशों के बीच परमाणु सहयोग को लेकर कई मुद्दे अटके पड़े हैं.

भारतीय बाजार में अभी भी अमेरिकी कंपनियों की एंट्री का रास्ता साफ नहीं हो पाया है. भारत और अमेरिका के विदेश मंत्री रक्षा और व्यापार मामलों पर भी चर्चा करेंगे.

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