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आतंकवाद सबसे बड़ी समस्‍या: मनमोहन सिंह

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए जांच एजेंसियों को और सशक्त बनाने की जरूरत है. उन्‍होंने कहा कि आतंकवाद देश के लिए सबसे बड़ी समस्या बन गया है.

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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह

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दिल्ली उच्च न्यायालय सहित देश में पिछले दिनों हुई कई आतंकी घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि खुफिया सूचनाएं एकत्र करने के तंत्र को और सशक्त बनाने तथा उसमें सुधार किए जाने की जरूरत है.

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सिंह ने यहां राष्ट्रीय एकता परिषद की 15वीं बैठक में कहा कि पिछले बुधवार को दिल्ली में हुए आतंकी हमले ने दर्शाया है कि हम अपनी सतर्कता में किसी तरह की ढील का जोखिम नहीं उठा सकते. हम अपनी जांच एजेंसियों को मजबूत बनाएं और खुफिया सूचनाएं एकत्र करने के अपने तंत्र में सुधार करें.

दिल्ली उच्च न्यायालय में हाल में हुए आतंकी हमले के संदर्भ में प्रधानमंत्री के इस बयान को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इस विस्फोट में 13 लोग मारे गए हैं और पुलिस या खुफिया एजेंसिया अभी तक इसकी साजिश रचने वालों के बारे कोई पुख्ता जानकारी एकत्र नहीं कर पाई हैं.

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प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित परिषद की इस बैठक में सांप्रदायिकता और सांप्रदायकि हिंसा पर रोक लगाने और सांप्रदायकि सौहार्द बढाने के उपायों पर विस्तार से चर्चा की जायेगी.

147 सदस्यों वाली राष्ट्रीय एकता परिषद की यह बैठक करीब तीन वषरे के अंतराल पर हो रही है. परिषद की पिछली बैठक राजधानी में 13 अक्तूबर 2008 को हुई थी. आज की बैठक में बिहार, गुजरात, उत्तरप्रदेश और तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों की अनुपस्थिति चर्चा का विषय रही.

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सिंह ने कहा कि आतंकवाद और नक्सलवाद आज हमारे समाज और राजनीति की दो प्रमुख चुनौतियां हैं. हाल के दिल्ली के आतंकी हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा देश बार बार आतंकी हिंसा का शिकार हुआ है. आतंकी भ्रमित विचारधारा को आधार बना कर इस तरह की हिंसा को जायज़ ठहराते हैं लेकिन कोई सभ्‍य समाज इस तरह निर्दोष लोगों की हत्याओं को बर्दाश्त नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि देश का लोकतांत्रिक ढांचा विभिन्न विचारों को रखने की पूरी आजादी देता है और ऐसे में हिंसा अपनाने को किसी कीमत पर जायज़ नहीं ठहराया जा सकता.

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प्रधानमंत्री ने हालांकि इस बात पर गहरा संतोष जताया कि हाल के वषरे में विभिन्न समुदायों के बीच रिश्ते सौहार्दपूर्ण बने रहे. उन्होंने कहा कि फिर भी, हमें इस बारे में सतत सतर्कतता बनाए रखने की आवश्यकता है. इस बात पर भी ध्यान दिए जाने की जरूरत है कि अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों में अक्सर यह सोच पाई जाती है कि कोई भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना होने के बाद कानून व्यवस्था बनाए रखने वाली एजेंसियां उन्हें अनुचित तौर पर निशाना बनाती हैं. सिंह ने कहा, कानून को अपना काम करना चाहिए, लेकिन यह भी सुनिश्चित होना चाहिए कि हमारी जांच एजेंसियां किसी भी तरह के पूर्वाग्रह से मुक्त रहें.

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जांच एजेंसियों और खुफिया सूचनाएं एकत्र करने वाले तंत्र में सुधार की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकी और नक्सल नए नए तरीके और प्रौद्योगिकी अपना रहे हैं. ऐसे में खुफिया तंत्र को भी प्रभावकारी बनना होगा। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने देश के सुरक्षा ढांचे को मजबूत बनाने का अथक प्रयास किया है.

उन्होंने कहा कि नक्सलवाद की समस्या विकास की समस्या से भी जुड़ी है. इस संदर्भ में केन्द्र सरकार ने पिछड़े इलाकों में विकास के विशेष कार्यक्रम शुरू किए हैं. इनमें वे इलाके भी शामिल हैं जो नक्सली हिंसा से प्रभावित हैं.

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देश के कुछ युवाओं में पनप रहे अतिवाद पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसका समाधान ढूंढने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि साफ है कि मन माफिक रोजगार के अवसरों की कमी हमारे युवकों और युवतियों में अतिवाद को जन्म देने में मदद कर रही है. इस समस्या से निपटने में शिक्षा एवं दक्षता विकास बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी समस्याओं से निपटने में उन्होंने केन्द्र और राज्य सरकारों के मिल कर काम करने पर जोर दिया.

बैठक को सिंह ने बताया कि सरकार ने देश की सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर अपने पड़ोसी देशों से भी चर्चा की है. उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि हमारे कुछ पड़ोसी देशों ने हमें सहयोग किया जिससे पूर्वोत्तर में हिंसा पर काबू करने में मदद मिली लेकिन चिंताएं बरकरार हैं और हमें उनसे निपटना है.

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