पुणे ब्लास्ट से साबित हो गया है कि सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने के लिए आतंकी नए-नए तौर तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
माना जा रहा है कि पुणे में वारदात को अंजाम देने के लिए इंडियन मुजाहिद्दीन ने नए मॉड्यूल का इस्तेमाल किया. पुणे में सिर्फ एक धमाका किया गया, ताकि कम आतंकियों का इस्तेमाल करना पड़े और जोखिम भी कम हो. ये भी आतंकियों की रणनीति का हिस्सा हो सकता है कि इंडियन मुजाहिद्दीन या किसी और संगठन ने धमाके की जिम्मेदारी भी नहीं ली.
पकड़े जाने के डर से पुणे में किसी भी गाड़ी का इस्तेमाल भी नहीं किया गया. यही नहीं, इंडियन मुजाहिद्दीन ने जर्मन बेकरी को टार्गेट चुना, जहां धमाका करना उनके लिए आमतौर पर सबसे आसान था. आतंकियों के इस मॉड्यूल में नए युवा लड़कों के इस्तेमाल का शक है, जिसके बारे में 2009 में खुफिया एजेंसियां चेतावनी दे चुकी थीं.