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हिंदी के बाद बाल ठाकरे अब कन्नड़ विरोधी बने!

शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने हिंदी के बाद अब कन्‍नड़ को अपना निशाना बनाया है.

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बाल ठाकरे
बाल ठाकरे

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शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने हिंदी के बाद अब कन्‍नड़ को अपना निशाना बनाया है.

बाल ठाकरे ने आगाह किया कि अगर पड़ोसी राज्य कर्नाटक मराठी विरोधी गतिविधियों में लिप्त लोगों पर अंकुश लगाने में विफल रहा तो महाराष्ट्र में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिलेगी.

उनकी टिप्पणी ज्ञानपीठ पुरस्कार कन्नड़ लेखक चंद्रशेखर कंबार की कुछ ‘मराठी विरोधी’ टिप्पणी के बाद आयी है.

पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में ठाकरे ने लिखा ‘कर्नाटक में शासन करने वालों को मराठी विरोधी गतिविधियों में लिप्त ‘गुंडों’ पर अंकुश लगाना चाहिये. यहां आग मत भड़कने दो.’

उन्होंने कहा ‘कर्नाटक सरकार को मराठियों पर हमला करने वाले गुंडों को मिल रहे पुलिस संरक्षण को बंद करना चाहिये. हम संयम बरत रहे हैं. लेकिन इसके यह मायने नहीं हैं कि यह संयम दुर्बलता के कारण है.’ ठाकरे ने कहा ‘केवल एक चिंगारी की जरूरत है.’ शिवसेना प्रमुख ने हाल में मांग की थी कि ज्ञानपीठ समिति को कंबार से प्रतिष्ठित पुरस्कार वापस लेना चाहिये.

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उन्होंने कहा था ‘कंबार ने कहा है कि सीमाई इलाकों (कर्नाटक के) में मराठी भाषी आबादी केवल अराजकता के लिये पैदा हुए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अगर इन इलाकों के मराठी लोग मराठी माध्यम में शिक्षा चाहते हैं तो उन्हें महाराष्ट्र जाना चाहिये.’

शिवसेना प्रमुख ने कहा ‘महाराष्ट्र में आठ करोड़ लोगों की तरफ से हम मांग करते हैं कि ज्ञानपीठ समिति को उनसे पुरस्कार वापस लेना चाहिये.’ ठाकरे ने कंबार को याद दिलाया कि कि कर्नाटक के लाखों लोग मुंबई और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में उद्योग एवं अन्य व्यवसायों में काम कर रहे हैं.

उन्होंने कहा ‘वास्तव में उडुपी यहां होटल व्यवसाय को नियंत्रित करता है. क्या होगा अगर हम उन सभी से उनके (अपने) राज्य लौटने को कहें. ठाकरे ने कहा ‘कंबार को याद रखना चाहिये कि भाषा किसी की दुश्मन नहीं है.

गिरीश कर्नाड डा. शिवराम कारंत यू आर अनंतमूर्ति भीमसेन जोशी और गंगूबाई हंगल जैसी हस्तियों ने मराठी दिमागों पर राज किया है.’ ठाकरे की प्रतिक्रिया कुछ मराठी समर्थक पाषर्दों द्वारा ‘कन्नड विरोधी कार्यों’ से नाराज कर्नाटक सरकार के बेलगाम शहर निगम को दिये गये कारण बताओ नोटिस पर आया है जिसमें दो हफ्ते के भीतर उनसे जवाब मांगा गया है कि क्यों नहीं उसे भंग करने के लिये कार्यवाही शुरू की जाय.

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कर्नाटक सरकार ने शिवसेना प्रमुख की कंबार को लेकर बयानों को ‘उकसाने’ वाला बताते हुए कहा है कि इससे दो पड़ोसी राज्यों के बीच तनाव बढ़ सकता है.

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