केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में लोकपाल विधेयक लाने के लिए प्रतिबद्ध है और उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के इस दावे पर स्पष्टीकरण मांगा कि वह भी इस गांधीवादी के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में शामिल था.
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खुर्शीद ने यहां प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में कहा, ‘हमारी अन्ना पक्ष के साथ तीन पहलुओं- सिटीजन चार्टर, निचली नौकरशाही को विधेयक के दायरे में लाने और केंद्र में लोकपाल की तर्ज पर राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति पर जो आपसी समझ बनी है उसके अनुसार हम शीतकालीन सत्र में इस विधेयक को लाने के लिए कटिबद्ध हैं.’ हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में अपनी भागीदारी के बारे में आरएसएस के इस दावे पर खुर्शीद ने कहा कि संघ प्रमुख ने जो दावा किया है उसपर स्पष्टीकरण देने की अब अब अन्ना पक्ष की बारी है. हालांकि हजारे ने संघ के दावे को खारिज कर दिया है.
खुर्शीद ने इस खबर से अनभिज्ञता प्रकट की कि हिसार लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस को पराजित करने के आह्वान वाली हजारे की सीडी उनके समर्थकों ने बांटी है. उन्होंने निर्वाचित प्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार नागरिकों को सौंपने की हजारे की मांग को ‘अव्यावहारिक’ करा दिया.
उन्होंने कहा कि यह मांग अव्यावहारिक है क्योंकि चुनाव में काफी कम प्रतिशत मतदान होता है और आचार संहिता के कारण सरकारी मशीनरी ठप पड़ जाती है.
मंत्री ने कहा कि सरकार सरकारी धन पाने वाले नागरिक समाज संगठनों ओर निजी सार्वजनिक साझेदादी उपक्रमों को भी लोकपाल के दायरे में लाने के लिए समग्र विधेयक लाने को इच्छुक है.
उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार ने नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए सूचना का अधिकार कानून बनाया लेकिन अदालतों ने इस ऐतिहासिक कानून की कुछ पहलुओं पर आपत्तियां उठायीं है.
खुर्शीद ने कहा, ‘‘कई न्यायाधीशों ने मुझे आरटीआई की कमियों के बारे में शिकायत की है. हम यह कानून लाये लेकिन हमें यह नही मालूम था कि इसका इस्तेमाल हम पर ही वार करने के लिए किया जाएगा. ’’ उन्होंने कहा कि सरकार चुनाव सुधारों और जन आपूर्ति जैसे मुद्दों पर आगामी कुछ महीनों में कई कदम उठाने जा रही है.
उन्होंने कहा कि जन आपूर्ति, जवाबदेही और पारदर्शिता, नागरिक शिकायत, चुनाव सुधार तथा केंद्रीय सतर्कता आयुक्त को और अधिकार देने संबंधी विधेयकों पर सरकार विचार कर रही है.