तीन सौ गर्लफ्रेंड और चार सौ कारें...यह कोई कहानी नहीं, बल्कि एक ऐसी हकीकत है, जो किसी को भी चौंकाकर रख देगी.
ज़रा सोचिए, साल में 365 दिन होते हैं और उसके पास थीं 300 गर्लफ्रैंड. यानी, हर दिन के लिए एक नई गर्लफ्रेंड. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर उसकी इतनी सारी गर्लफ्रैंड का राज़ क्या है? क्यों बनाता था वह हर रोज एक नई गर्लफ्रैंड?
साल के 365 दिन जैसे कैलेंडर अपनी तारीखें बदलता, वो अपनी गर्लफ्रैंड बदल देता. लोग शायद इतनी जल्दी अपने कपड़े नहीं बदलते होंगे, जितनी तेजी से वो लड़कियां बदलता था. यहां तक तो फिर भी गनीमत थी, क्योंकि गर्लफ्रैंड बदल कर वो किसी का दिल जरूर तोड़ता, पर कोई कानून नहीं तोड़ता. लेकिन, दिन के साथ गर्लफ्रैंड बदलना हर किसी के बूते की बात नहीं होती. पैसे खर्च होते हैं और बस यहीं उसने दिल के साथ-साथ कानून भी तोड़ना शुरू कर दिया.
दरअसल इस अय्याश आशिक की आशिकी का हर रोज का खर्चा ही 20-25 हजार रुपए था और हर दिन इतने पैसे उड़ाने के लिए या तो उसका धन्ना सेठ होना जरूरी था या फिर बेहद रईस, पर वो इनमें से कुछ भी नहीं था.
फिर भी पांच सितारा होटल, डिस्कोथैक और पब में वो हर रात हजारों लुटाता. हर रात उसके साथ नई लड़की होती. इस सुपर आशिक को उसकी आशिकी की इसी लत ने दिल्ली का सबसे सुपर कार चोर बना दिया. यह सुपर कार चोर दिन में महंगी और लग्जरी कारों पर हाथ साफ करता और रात को आशिकी, पर जिस कार में रात को उसकी गर्लफ्रैंड होती, वो कार चोरी की नहीं, बल्कि खुद उसकी अपनी खरीदी हुई होती.
महंगाई रोज़-ब-रोज़ बढ़ती जा रही है. लोगों के लिए घर चलाना मुश्किल हो रहा है, पर वो है कि एक-दो नहीं, बल्कि तीन-तीन सौ गर्लफ्रेंड्स का ब्वायफ्रैंड है. ज़ाहिर है खर्च भी उसी हिसाब से होगा. अगर इसके नाम तीन सौ गर्लफ्रैंड रखने का रिकार्ड है, तो अकेले चार सौ से ज्यादा कारें चुराने का रिकार्ड भी इसी के नाम दर्ज है.
बकौल पुलिस फकत दो साल में ही इसने दिल्ली और एनसीआर से चार सौ ज्यादा कारें चुरा कर बेच दीं और हर कार इसने लाख या उससे ज्यादा में बेचीं. यानी सिर्फ कार चुरा कर ये अब तक तकरीबन चार करोड़ रुपए कमा चुका है.
दिखने में ठीकठाक राजू शुरू से आशिक मिज़ाज था, पर उसकी कोई गर्लफ्रैंड नहीं थी. इसी दौरान कुछ दोस्तों ने उसे ताना मारा कि लड़कियों से दोस्ती तभी होती है, जब जेब मे पैसे हों. ये बात राजू के दिल में बैठ गई. इसी के बाद उसे ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने की धुन सवार हो गई.
शुरुआत में राजू ने छोटी गाड़ियों पर हाथ मारा और कामयाब भी रहा. चोर-बाजार में गाड़ी के ठीकठाक दाम भी मिल गए. इसी के बाद उसका हौसला बढ़ता गया और उसने महंगी और लग्जरी गाड़ियों पर हाथ साफ करना शुरू कर दिया.
कुछ ही वक्त में राजू का नाम कार चोर मार्केट में मशहूर हो गया. इसके बाद तो नौबत ये आ गई कि वो पहले ग्राहक से कार का ऑर्डर लेता और फिर ऑर्डर के हिसाब से कार चुराता. यानी अगर किसी को हौंडा सिटी चाहिए तो वो बाकायदा कलर मेक एडवांस में तय कने के बाद ठीक वैसी ही कार चुराता.
राजू का धंधा जैसे ही चल निकला उसका पुराना शौक फिर से जिंदा हो गया. शौक...गर्लफ्रैंड बनाने का, पर चूंकि गर्लफ्रैंड को लेकर उसका पुराना तजुर्बा बेहद खराब था, इसीलिए बदला लेने के वास्ते उसने हर रोज गर्लफ्रैंड बदलने का फैसला किया.
पुलिस को राजू के पास से कई सेल फोन मिले हैं. पूछताछ में पता चला है कि ना जाने कितनी गर्लफ्रैंड को उसने खुद महगे फोन भी खरीद कर दिए. हर रोज नई गर्लफ्रैंड बनाने के चक्कर मे कई बार तो ऐसा होता कि जब किसी ग्रलफ्रैंड का फोन आता तो उसे याद ही नहीं रहता कि वो उससे कब मिला था या उसका नाम क्या है? यहां तक कि कई बार तो वो अपनी पुरानी गर्लफ्रौंड को नई समझ कर दोबारा से डिस्कोथेक या पब में ले गया.
अब राजू की असलीयत जानने के चक्कर में पुलिस उसकी ऐसी बहुत सी गर्लफ्रैंड को भी खंगालने की सोच रही थी. खासकर उन्हें जिनके नंबर राजू के मोबाइल से मिले हैं. उसके मोबाइल में भी इक्का-दुक्का छोड़ दें, तो सभी नंबर सिर्फ और सिर्फ लड़कियों के ही हैं.
बदलते वक्त के साथ जुर्म की सूरत और सीरत दोनों बदली हैं. अब ऐसे मुजरिमों के जमाने लद गये, जिनका पेशा ही जुर्म था. यानी जो पेशेवर मुजरिम हुआ करते थे. अब जमाना है नई उम्र के ऐसे मुजरिमों का, जो अपने शौक पूरे करने के लिए जुर्म के रास्ते पर चल पड़ते हैं.
दरअल सुपर कार चोर राजू अब तक इसलिए पुलिस और अपनी तमाम गर्लफ्रैंड को चकमा देता रहा, क्योंकि उसने अपन धंधे का नाम कोडवर्ड में रखा हुआ था. कोड भी ऐसा कि गर्लफ्रैंड के सामने ही कार चुरा ले जाने का सौदा कर लेता और उसकी गर्लफ्रैंड को इसकी भनक तक नहीं लगती.
दरअसल राजू को मोबाइल के नुकसन और फायदे दोनों के बारे में पता था. उसे मालूम था कि पुलिस फोन सर्विलांस पर लगाती है. लिहाजा हर डील से पहले और बाद में वो इन्हीं कोडवर्ड में बात करता था.
हाल के दिनों में चोरी के दौरान राजू के सामने सबसे बड़ी मुश्किल उन कारों को चुराने में आ रही थी, जिनमें सिक्योरिटी सिस्टम लगे होते हैं. यानी वो गाड़ियां जो सर्फ उन्हीं चाभियों से खुलती हैं, जो उस कार की असली चाभी है. राजू ऐसी गाड़ियों पर हाथ साफ करने और उनके सिक्योरिटी सिस्टम को तोड़ने की ट्रेनिंग लेने बाकायदा मुंबई जाने की तैयारी में था, लेकिन उससे पहले ही वो गाजियाबाद पुलिस के हत्थे चढ़ गया.
फिलहाल तीन सौ गर्लफ्रैंड के इस ब्वायफ्रैंड की रफ्तार पर पुलिस ने ब्रेक लगा दिया है और अब ये अपनी तमाम गर्लफ्रेंड की आगोश से दूर सलाखों के पीछे है...बिल्कुल तनहा.