भोपाल गैस त्रासदी मामले में सीबीआई के पूर्व उपप्रमुख बी आर लाल के दावों को खारिज करते हुए विभाग के पूर्व निदेशक के विजयरामा राव ने आज कहा कि सीबीआई पर यूनियन कार्बाइड के प्रमुख वॉरेन एंडरसन के खिलाफ मामला खत्म करने का कभी किसी प्रकार का दबाव नहीं था.
राव ने संवाददाताओं से कहा कि भारत सरकार और सीबीआई ने एंडरसन को अमेरिका से प्रत्यर्पित करने की पूरी कोशिश की, लेकिन अमेरिका से इसके लिए मंजूरी नहीं मिली. उन्होंने कहा कि उनका (अमेरिका का) दावा था कि यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री सिर्फ एक सहायक कंपनी थी और इस व्यक्ति (एंडरसन) को सीधे तौर पर इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि कंपनी के संचालन में वह सीधे शामिल नहीं थे. हालांकि हम उन्हें नैतिक तौर पर जिम्मेदार मान सकते हैं. गौरतलब है कि सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक लाल इस मामले की जांच के प्रभारी थे. उन्होंने कल दावा किया था कि उनपर विदेश मंत्रालय की ओर से एंडरसन के प्रत्यर्पण का प्रयास नहीं करने का दबाव था.
अप्रैल 1994 से जुलाई 1995 के बीच मामले की जांच करने वाले लाल ने कहा कि सीबीआई की जांच प्रभावित की गई और कई अधिकारी इसे निर्देशित करते थे, जिसके परिणामस्वरूप भोपाल गैस त्रासदी मामले में न्याय में देरी हुई, और इस तरह न्याय नहीं मिल पाया.{mospagebreak}राव ने कहा कि इस मामले में सीबीआई और विदेश मंत्रालय के बीच और विदेश मंत्रालय और अमेरिकी सरकार के बीच अनेक बार पत्र व्यवहार हुआ. राव ने कहा कि इन पत्रों के आदान प्रदान के बीच विदेश मंत्रालय ने शायद एक पत्र लिखा, जिसमें कहा गया था कि अमेरिका एंडरसन के प्रत्यर्पण के लिए मंजूरी नहीं दे रहा है. लेकिन मैं यह कह सकता हूं कि कभी भी सीबीआई पर इस मामले को रफा दफा करने के लिए विदेश मंत्रालय की ओर से दबाव नहीं डाला गया. लाल के दावों के संबंध में राव ने कहा कि उनसे पूछना (लाल से) प्रश्न नहीं है बल्कि सीबीआई से पूछना असल मुद्दा है. पूर्व सीबीआई प्रमुख ने कहा कि उन्होंने केवल इतना कहा है कि एक पत्र आया था लेकिन वह पत्र मेरे जरिये ही आया होता. लेकिन मुझे नहीं पता कि उस पत्र में क्या था. मीडिया में भी अभी तक हमने उस पत्र को नहीं देखा है. राव ने कहा कि सीबीआई और विदेश मंत्रालय के बीच कई बार पत्रों का आदान प्रदान हुआ.
उन्होंने कहा कि यह पत्र शायद अमेरिकी सरकार की ओर से प्रत्यर्पण की मंजूरी न मिलने के संदर्भ में हो. लेकिन एक चीज स्पष्ट है कि वह (अमेरिका) उसे भारत को प्रत्यर्पित करने को तैयार नहीं थे. राव ने जोर देते हुए कहा कि भारत सरकार, सीबीआई और विदेश मंत्रालय किसी ने भी और कभी एंडरसन के प्रत्यर्पण के मामले को छोड़ नहीं दिया था.
उन्होंने कहा कि हमने इसके लिए हमेशा प्रयास किया. लेकिन हमारी प्रत्येक कोशिश दीवार पर सिर मारने जैसी रही.