केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि विवादास्पद केंद्रीय सतर्कता आयुक्त पी जे थॉमस ने 2 जी स्पेक्ट्रम मामले की सीबीआई जांच की निगरानी से खुद को अलग करने की पेशकश की है.
थॉमस के खिलाफ उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को तीखी टिप्पणियां दी थीं.
सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रह्मण्यम ने न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति ए के गांगुली की खंडपीठ को बताया, ‘उच्चतम मूल्यों के अनुरूप, थॉमस ने इस मामले से खुद को अलग रखने का प्रस्ताव दिया है.’ इसी पीठ ने मंगलवार को 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के मामले में सीबीआई पर थॉमस के निगरानी करने पर सवालिया निशान लगाए थे.
न्यायालय ने सवाल उठाया था कि थॉमस उस समय दूरसंचार सचिव थे. पिछले कुछ समय तक दूरसंचार सचिव रहे 60 वर्षीय थॉमस को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) नियुक्त किया है, हांलाकि उसमें शामिल लोकसभा में विपक्ष की नेता भाजपा की सुषमा स्वराज ने अपनी असहमति जतायी थी.
मात्र तीन महीने पहले केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त नियुक्त हुए थॉमस का नाम केरल सरकार में रहने के दौरान पामोलीन आयात के मामले में एक आरोपपत्र में सामने आया था.
अदालत ने मंगलवार को 2 जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच कर रही सीबीआई पर निगरानी रखने में थॉमस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘सीबीआई सीवीसी के मातहत काम रही है, उस समय वह (थॉमस) दूरसंचार सचिव के तौर पर काम कर रहे थे. उनके लिए सीबीआई की निष्पक्ष तौर पर निगरानी करना कैसे संभव होगा.’
खंडपीठ ने कहा, ‘उन्होंने उन कार्यों को जायज ठहराया है, जिनकी जांच यह अदालत और सीबीआई कर रही है. उनके लिए निष्पक्ष तौर पर निगरानी करना कठिन होगा.’
वहीं सीबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील के के वेणुगोपाल ने केंद्रीय सतर्कता अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि इसमें एक प्रावधान यह भी है कि किसी एक सतर्कता आयुक्त को सीवीसी के तौर पर काम करने की अनुमति दे दी जाए.