प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चार दिवसीय इंडोनेशिया और सिंगापुर की यात्रा पर रवाना हो गए हैं. उनकी इस यात्रा का मकसद अमेरिका में और यूरोप में आर्थिक संकट के दौर में पूर्वी एशिया के साथ भागीदारी को मजबूत करना है.
प्रधानमंत्री इंडोनेशिया के बाली में भारत-आसियान शिखर सम्मेलन और पूर्वी एशिया सम्मेलन में भाग लेंगे. उनका मुख्य ध्यान व्यापार और निवेश बढ़ाने, संपर्क और क्षमता विस्तार के अलावा सुरक्षा संबंधी मसलों पर रहेगा.
इन शिखर बैठकों के दौरान अलग से प्रधानमंत्री की अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा तथा चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ के साथ द्विपक्षीय बैठक होगी. दो देशों की यात्रा के दूसरे चरण में सिंह द्विपक्षीय यात्रा पर सिंगापुर जाएंगे.
रवानगी से पहले प्रधानमंत्री ने एक बयान में कहा, ‘आसियान के साथ भागीदारी हमारी ‘पूर्वोन्मुख’ नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है.
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्ष के दौरान भारत का समूह के रूप में दक्षिण पूर्व एशिया राष्ट्रों के संघ (आसियान) के साथ संपर्क बढ़ा है. इसके साथ ही सदस्य देशों के साथ अलग-अलग भी भारत की भागीदारी बढ़ी है.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘2010-15 के लिए भारत-आसियान कार्रवाई योजना पर सहमति बन चुकी है. मैं आसियान के नेताओं के साथ इसके क्रियान्वयन की समीक्षा करूंगा.’ आसियान के साथ वार्ता के 20 बरस पूरे होने के मौके पर भारत अगले साल भारत-आसियान शिखर बैठक का आयोजन करेगा. सिंह ने कहा कि बाली में मुझे आसियान नेताओं के साथ इस बैठक के बारे में विचारों का आदान प्रदान करने का मौका मिलेगा.
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह एशिया प्रशांत क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग का एक प्रमुख मंच है.’ उन्होंने कहा कि संस्थापक सदस्य के रूप में भारत पूर्वी एशिया में कई तरह की पहल का हिस्सा है. इसके जरिये क्षेत्र में पूर्वी एशिया में वृहद आर्थिक भागीदारी जैसे आर्थिक समुदाय का निर्माण हो रहा है.
सिंह ने कहा कि पूर्वी एशिया सम्मेलन के एजेंडा में अब राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दे लगातार हिस्सा बन रहे हैं. उन्होंने कहा कि क्षेत्र के देशों में आपदा प्रबंधन, समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद और अन्य गैर परंपरागत सुरक्षा संबंधी मसले चिंता का विषय हैं. 19 नवंबर को सिंगापुर में पहली द्विपक्षीय यात्रा के बारे में सिंह ने कहा कि वह इसे खासा महत्व देते हैं.
उन्होंने कहा कि वह सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सिएन लॉन्ग के साथ आर्थिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक और लोगों से लोगों तक संपर्क बढ़ाने के मसले पर गहन विचार विमर्श करेंगे. उल्लेखनीय है कि आसियान में सिंगापुर भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है.