1912 में साउथंपटन से न्यूयार्क के लिये अपनी पहली यात्रा पर निकला विशालकाय और भव्य जहाज टाइटेनिक का डूबना किसी दुर्घटना का परिणाम नहीं था बल्कि इसके डूबने के लिये जहाज का चालक उत्तरदायी था.
कभी न डूबने का दावा करने वाले टाइटेनिक जहाज के बारे में हालिया प्रकाशित एक नयी पुस्तक में इस बात का दावा किया गया है कि चालक दल चाहते तो इस भयानक त्रासदी को टाल सकते थे. टाइटेनिक के जलमग्न होने के वषरे बाद तक यही माना जाता रहा था कि यह जहाज दुर्घटनावश डूब गया था. जिसका कारण जहाज की तेज गति और चालक दल के द्वारा विशालकाय हिमशैल को नहीं देख पाना था जिसके कारण जहाज उससे टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था.
द टेलिग्राफ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार इस घटना के सौ साल बाद ‘गुड एज गोल्ड’ शीषर्क से प्रकाशित पुस्तक में यह कहा गया है कि हिमशैल को देखने के बाद जहाज चालक दल के पास काफी समय था और वे टाइटेनिक को उससे टकराने से बचा सकते थे लेकिन वे इस कदर भयभीत हो गये कि जहाज को उन्होंने उसी दिशा में मोड़ दिया. जब तक गलती का पता चलता तब तक बहुत देर हो चुकी थी और टाइटेनिक हिमखंड से जा टकराया.
इस पुस्तक में यहां तक कहा गया है कि टक्कर के बाद भी चालक दल और उस पर सवार यात्रियों को डूबने से बचाया जा सकता था अगर जहाज को टक्कर के बाद उल्टी दिशा में न चलाकर वहीं स्थिर खड़ा कर दिया जाता. यह जानकारी वर्षों तक एक वरिष्ठ अधिकारी तक गुप्त रखी गयी जब तक उसके परिवार के सदस्य जिंदा रहे.
दूसरे अधिकारी चार्ल्स लाइटोलर ने अपने दोनों जांच में इन गलतियों को उजागर नहीं किया क्योंकि उन्हें अपने सहयोगियों की नौकरी जाने का डर था. लेकिन अब उनकी पोती लुईस पैटन ने अपने नये पुस्तक में इस तथ्य का खुलासा किया है. वह बताती है ‘यह जानकारी घटना को और दुखदायक बना देगी. वे आसानी से हिमशैल से टक्कर को बचा सकते थे.’