अलग तेलंगाना राज्य के लिए समय-सीमा तय करने की कांग्रेस पार्टी के आन्ध्र प्रदेश के कुछ सांसदों और विधायकों की मांग के कारण केंद्र पर दबाव और बढ़ गया है. इस मांग के समर्थन में पूरे क्षेत्र में बंद का आयोजन किया गया.
दूसरी तरफ आंध्र प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की संभावनाओं से इनकार करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, ‘‘हम राष्ट्रपति शासन के बारे में नहीं सोच रहे हैं. हमें दुख है कि इतने सारे विधायकों और सांसदों ने इस्तीफा दे दिया है.’’
तेलंगाना के समर्थन में राज्य के 10 जिलों में बुधवार को संपन्न हुए दो दिवसीय बंद को और बढ़ाने पर विचार हो रहा है. गौरतलब है कि मंगलवार रात प्रदेश के कांग्रेस सांसदों और विधायकों के एक प्रतिनधिमंडल ने वित्त मंत्री से मुलाकात कर यह आग्रह किया था कि केंद्र और पार्टी आलाकमान अलग राज्य के गठन के लिए एक समयसीमा तय करें.
राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले तेलंगाना क्षेत्र के कांग्रेसी सांसद के केशव राव ने कहा, ‘‘हमें एक समयसीमा चाहिए. भले ही यह छह महीने, तीन महीने या दो महीने की ही हो.’’ तेलंगाना क्षेत्र के करीब 100 विधायक और 15 सांसद पृथक राज्य के गठन की मांग के पक्ष में इस्तीफा दे चुके हैं.
चिदंबरम ने कहा कि केंद्र इन सांसदों और विधायकों से चर्चा करेगा. इससे पहले कांग्रेस महासचिव और राज्य के कांग्रेस प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने इन लोगों से मिलकर इस मुद्दे पर चर्चा की थी. उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि विचार-विमर्श की प्रक्रिया ही हमें किसी निष्कर्ष पर पहुंचने का रास्ता दिखलायेगी. आज तक की स्थिति यह है कि विचार-विमर्श की प्रक्रिया अब भी जारी है. अब तक कोई फैसला नहीं किया गया है.’’
कानून और व्यवस्था की स्थिति पर उन्होंने कहा कि केंद्र ने सुरक्षा बल भेजे हैं, मगर उन्हें उम्मीद है कि उनकी जरूरत पड़ने की स्थिति नहीं पैदा होगी. उधर तेलंगाना राजनीतिक संयुक्त कार्रवाई समिति ने अलग राज्य की मांग के समर्थन में आठ और नौ जुलाई को रेल रोको अभियान चलाने की बात कही है.
हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय में भी तेलंगाना समर्थक छात्रों और पुलिस के बीच टकराव हुआ. दूसरी तरफ माकपा पोलित ब्यूरो ने इस स्थिति के लिए केंद्र सरकार और कांग्रेस नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया है.