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TRAI के 'कैरिज फीस' बढ़ोतरी पर न्यूज चैनलों का विरोध

प्रमुख समाचार चैनलों ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा मल्टी सिस्टम आपरेटरों (एमएसओ) को प्रसारकों से कैरिज शुल्क वसूलने की अनुमति देने के फैसले का विरोध करते हुए सरकार से इसकी समीक्षा की मांग की है.

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ट्राई
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प्रमुख समाचार चैनलों ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा मल्टी सिस्टम आपरेटरों (एमएसओ) को प्रसारकों से कैरिज शुल्क वसूलने की अनुमति देने के फैसले का विरोध करते हुए सरकार से इसकी समीक्षा की मांग की है.

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समाचार प्रसारक संघ (एनबीए) ने एक बयान में कहा कि केबल टीवी वितरण के डिजिटलीकरण के ट्राई के 30 अप्रैल के आदेश से हमें झटका लगा है. बयान में कहा गया है कि इस अधिसूचना से एक ऐसे व्यवहार को कानूनी जामा मिल गया है, जिसके एनबीए समाप्त होने की उम्मीद कर रहा था.

ट्राई ने सोमवार को नए नियम जारी करते हुए एमएसओ को सभी प्रसारकों से एक समान कैरिज शुल्क वसूलने की अनुमति दे दी.

इस प्रकार का भुगतान अभी तक बहुत हद तक नियमन के दायरे से बाहर था. ट्राई के नए नियमन के अनुसार, ‘प्रत्येक मल्टी सिस्टम ऑपरेटर को अपनी इंटरकनेक्ट पेशकश के नियम और शर्तों में प्रसारकों के उन चैनलों के कैरिज के लिए कैरिज शुल्क का प्रकाशन करना होगा, जिनके लिए एमएसओ ने कोई आग्रह नहीं किया है.’

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ट्राई के नियमन के अनुसार कैरिज शुल्क सभी प्रसारकों के लिए समान होगा और कम से कम दो साल तक इसे बढाया नहीं जा सकेगा.

इस बारे में नियम जारी करने से पहले नियामक ने प्रसारकों, एमएसओ और स्थानीय केबल आपरेटरों (एलसीओ) की भी राय ली थी. नियमन के साथ जारी एक संलग्न पत्र में ट्राई ने कहा है कि प्रमुख समाचार चैनलों का प्रतिनिधित्व करने वाले समाचार प्रसारक संघ (एनबीए) ने कैरिज शुल्क के नियमन का पक्ष लिया है.

तमाम प्रसारण कंपनियां अब कैरिज शुल्क के पक्ष में बतायी जाती हैं और इसको विनियामकीय परिधि में रखे जाने के पक्ष में हैं.

 

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