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नोएल टाटा और राडिया के बीच बातचीत

राडिया ने 18 जून 2009 को रतन टाटा के संभावित उत्तराधिकारी नोएल टाटा से बातचीत में शेखी बघारी कि कैसे उन्होंने नोएल से बातचीत करने के लिए बिजनेस टुडे के सामने शर्तें रखीं. पत्रिका ने अपनी आवरण कथा (अक्तूबर 2009) में राडिया की मर्जी के खिलाफ बातें शामिल कर लीं जिससे वे आगबबूला हो उठीं.

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राडिया ने 18 जून 2009 को रतन टाटा के संभावित उत्तराधिकारी नोएल टाटा से बातचीत में शेखी बघारी कि कैसे उन्होंने नोएल से बातचीत करने के लिए बिजनेस टुडे के सामने शर्तें रखीं. पत्रिका ने अपनी आवरण कथा (अक्तूबर 2009) में राडिया की मर्जी के खिलाफ बातें शामिल कर लीं जिससे वे आगबबूला हो उठीं.

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नोएलः हाइ नीरा, मैंने देखा. यह कहने की कोई बात नहीं है कि कल की बोर्ड मीटिंग की जगह बोर्ड ने शेयरधारक को सुझाया है, जो इसकी कल्पना करने जैसा लगता है. सिर्फ इतना कहो कि ट्रेंट्स की पिछली बोर्ड मीटिंग में निदेशकों ने शेयरधारकों को सुझाया कि प्रबंध निदेशक के रूप में मिस्टर टाटा के करार को अगले पांच साल के लिए बढ़ा दिया गया है. उन्होंने कहा कि वे शेयर बाजार में इसका खुलासा नहीं करेंगे क्योंकि यह अति संवेदनशील सूचना नहीं है.
राडियाः बहुत अच्छा. सो मैं सिर्फ यह कंगी कि ट्रेंट्स की पिछली बोर्ड मीटिंग में...इसकी सिफारिश की गई. हां, अच्छा है. मैं इसे लिखकर आपके मेल में डाल दूंगी. और मैं उसे कंगी कि आपके सवालों का आधार ही गलत है, लिहाजा हम कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.
टाटाः हां, हां.
राडियाः हम इसे इसी तरह पेश करेंगे. इस बाबत माफ कीजिए.
टाटाः नहीं, नहीं, तुम क्या कर सकती हो? जिस तथ्य को मैंने कभी किसी को नहीं बताया ऐसे समय में वही हमें उबार सकता है (दोनों हंसते हैं).
राडियाः इसका मतलब यह नहीं कि आप बोलते नहीं हैं. (हंसती हैं) इसी वजह से मैंने बिजनेस वर्ल्ड की स्टोरी रुकवा दी और बिजनेस टुडे को दे दी क्योंकि मुझे वे सवाल मिल गए जो मैं चाहती थी. उनकी मर्जी के सवाल नहीं. वे उत्तराधिकार के मुद्दे को छोड़ नहीं पाए. उन्होंने कहा कि नहीं, हमें इस पर बात करनी है भले ही ऑफ द रिकॉर्ड हो. मैंने कहा, माफ करना ऑफ रिकॉर्ड हो या ऑन रिकॉर्ड, इस सवाल का जवाब नहीं मिलेगा. फिर उन्होंने आखिर में कहा कि हम केवल रिटेल पर बात करेंगे तो हम आपको कवर नहीं दे पाएंगे. मैंने कहा, माफ करना कवर न मिले तो मैं बात नहीं करूंगी (हंसती हैं). इस पर समझौता हुआ... चलो बिजनेस टुडे ने ऐसे सवाल तैयार किए हैं जो ठीक हैं.

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प्रत्याख्यानः ये अंश फोन पर हुई बातचीत के हैं और इंडिया टुडे इनकी प्रमाणिकता का दावा नहीं कर सकती. हम इन्हें इसलिए प्रकाशित कर रहे हैं क्योंकि ये उन महत्वपूर्ण लोगों के विचार हैं जो निर्णय प्रक्रिया से जुड़े हैं या जुड़े थे. हमने सावधानी बरती है कि कोई व्यक्तिगत सूचना न प्रकाशित हो जाए.

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