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संसद में कार्यस्थगन प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है तृणमूल

कांग्रेस से अलग होने के बाद तृणमूल कांग्रेस संप्रग सरकार की नीतियों के खिलाफ संसद के शीतकालीन सत्र में नियम 184 के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है जिसमें मतदान का प्रावधान होता है.

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सुदीप बंदोपाध्याय
सुदीप बंदोपाध्याय

कांग्रेस से अलग होने के बाद तृणमूल कांग्रेस संप्रग सरकार की नीतियों के खिलाफ संसद के शीतकालीन सत्र में नियम 184 के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है जिसमें मतदान का प्रावधान होता है.

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लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस संसदीय दल के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, ‘हम सभी विकल्प खुले रख रहे हैं. इनमें नियम 184 के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव रखने का भी विचार है जिसमें मतदान का प्रावधान है. हम 193 के तहत प्रस्ताव रखने के बारे में भी सोच रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘दोनों ओर (सरकार और विपक्ष) के अनेक राजनीतिक दल हमारा समर्थन करेंगे.’

बंदोपाध्याय ने किसी पार्टी का नाम नहीं लिया और कहा, ‘फिलहाल पार्टियों के नामों का खुलासा करना राजनीतिक तौर पर सही नहीं होगा.’

उन्होंने कहा कि लोकसभा में 19 और राज्यसभा में नौ सदस्यों वाली तृणमूल कांग्रेस केंद्र के फैसलों के खिलाफ जनता दल (यू), बीजू जनता दल और समाजवादी पार्टी से सदन में समन्वय का प्रयास करेगी.

बंदोपाध्याय ने कहा, ‘हम अगले महीने के तीसरे सप्ताह में संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले सदन में समन्वय के लिए इन दलों से बातचीत करेंगे.’

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उन्होंने इस बाबत माकपा से बातचीत की संभावना को खारिज करते हुए कहा, ‘माकपा का विरोध सच्चा नहीं है. इसके विपरीत वह तृणमूल कांग्रेस को राजनीतिक तौर पर अलग थलग करना चाहती है.’

तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने पहले कहा था कि उनकी पार्टी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के बारे में सोचेगी. इस बारे में पूछे जाने पर बंदोपाध्याय ने कहा, ‘उचित समय पर उचित फैसला किया जाएगा.’

उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी कोयला ब्लॉक आवंटन पर कैग की रिपोर्ट पर भी सरकार को घेरेगी.

संसद में कामकाज बाधित होने से इत्तेफाक नहीं जताते हुए बंदोपाध्याय ने कहा, ‘गत मानसून सत्र में करीब 80 प्रतिशत समय संसद में कामकाज बाधित होने के चलते बेकार चला गया.’

उन्होंने कहा कि संसद में आम आदमी को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर विचार विमर्श सक्रियता से होना चाहिए.

जब तृणमूल सांसद से पूछा गया कि क्या वह संसद में अवरोध के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराएंगे तो उन्होंने कहा, ‘राजग सरकार के दौरान कांग्रेस ने भी कई बार इस तरह की नीति अपनाई. इसलिए दोनों बड़े दलों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.’

उन्होंने दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस ने साबित कर दिया है कि जब केंद्र की नीतियों के चलते आम आदमी के हित प्रभावित हो रहे हों तो पार्टी ने मंत्री पद की चिंता नहीं की.

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गौरतलब है कि बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश लाने, रियायती घरेलू गैस सिलेंडरों की संख्या सीमित करने और डीजल के दाम बढ़ाने के संप्रग सरकार के फैसलों के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था और बंदोपाध्याय समेत पार्टी के छह मंत्रियों ने इस्तीफा सौंप दिया था.

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