अमेरिका ने सावधान करते हुए कहा है कि पाकिस्तान ने कश्मीर में भारत के खिलाफ आतंकवादी समूहों का इस्तेमाल किया है और वह ऐसा करके ‘एक गंभीर, दुखदाई और रणनीतिक गलती’ कर रहा है.
अमेरिका की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि पाकिस्तान को लगता है कि वह ‘जंगली जानवर को अपने यहां शरण’ दे सकता है और इससे केवल पड़ोसी को ही नुकसान होगा. लेकिन ऐसे बहुत से उदाहरण भरे पड़े हैं जिनमें ऐसा नहीं हुआ.
क्लिंटन ने कहा, ‘हम प्रत्येक स्तर पर इस बात पर जोर दे रहे हैं कि हमारे बीच संबंध है और हमें रणनीतिक लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रभावी ढंग से कोशिश करनी है. यह लक्ष्य है पाकिस्तान से हमारे उपर संचालित होने वाले हमलों को रोकना.
इसके साथ ही आंतरिक खतरों के विरूद्ध पाकिस्तान को स्थिरता लाने में सहायता करना और अफगानिस्तान को सक्षम बनाना ताकि वह अपने भविष्य पर नियंत्रण रख सके.’ यहां ‘कुमपुरिस डिस्टिंगग्विश्ट लेक्चर सिरिज’ में एक सवाल के जवाब में क्लिंटन ने कहा, ‘यह अत्यंत कठिन हैं और हमलोग इसके प्रत्येक हिस्से, प्रत्येक दिन अध्ययन कर रहे हैं.’ क्लिंटन ने कहा कि पाकिस्तान के लोग अत्यंत खराब सुरक्षा माहौल से निकलने की कोशिश कर रहे हैं.
हिलेरी क्लिंटन ने कहा, ‘मैं अपने आप को और अपने सहयोगियों को उसके बारे में याद दिलाना चाहती हूं क्योंकि अपने विरूद्ध आतंकवाद के खात्मे की कोशिश में उनका बहुत बड़ा हित है. लेकिन उनके आतंकवाद के विरूद्ध लड़ाई से भारत के साथ संबंध, अमेरिका और गठबंधन सैनिकों की वापसी के बाद अफगानिस्तान को लेकर और उससे बाहर के क्षेत्र में चिंता है. आशंका है कि स्थिति और बिगड़ सकती है.’
रूस के अफगानिस्तान में लड़ने के दौरान इन व्रिदोही समूहों के उसके खिलाफ अमेरिकी समर्थन के बारे में क्लिंटन ने कहा कि जब वह पाकिस्तान की अधिकारियों से मिलीं, तो उन्होंने सही कहा, ‘ आप वहीं है जिन्होंने एक समय हमलोगों को इन लोगों के साथ सहयोग करने के लिए कहा. आप वहीं हैं जिन्होंने इन्हें धन उपलब्ध करवाया.’
उन्होंने कहा, ‘आप वहीं हैं जिन्होंने इन्हें सबल बनाया. आप वहीं हैं जिन्होंने इनका इस्तेमाल सोवियत संघ को अफगानिस्तान से निकाल-बाहर करने के लिए किया. अब हमलोग दोनों इस स्थिति में है जिससे अपने आप को बाहर निकालना अत्यंत जटिल और कठिन है.
क्लिंटन ने कहा कि वे इसे ऐसे ही देखते हैं. उन्होंने कहा, ‘उनलोगों ने पूर्व में इन समूहों का इस्तेमाल कश्मीर को लेकर भारत के साथ चल रहे विवाद के लिए भी किया. जब मैं विदेश मंत्री बनी, तो वे पाकिस्तानी तालिबान को मनाने की कोशिश कर रहे थे जो कि अब उनपर ही हमला कर रहे हैं. इसप्रकार से वे अच्छे आतंकवादी और बुरे आतंकवादी के बीच अंतर करने की कोशिश कर रहे हैं, क्यांेकि हमलोगों ने मिलकर अच्छे आतंकवादियों को धन उपलब्ध करवाया था.’
हिलेरी क्लिंटन ने कहा, ‘इसप्रकार से वे आतंकवादी नेटवर्क से निपटने की कोशिश कर रहे थे जो कि अल कायदा की वजह से बेहतर ढंग से संगठित और निर्देशित हो रहा था. अल-कायदा अफगानिस्तान और पाकिस्तान के सीमांत क्षेत्रों में और अधिक आर्थिक मदद ला रहा था.’ इसलिए जब अमेरिका ने पाकिस्तानियों के साथ पहले दौर की बातचीत की तो इस मुद्दे को उठाया गया कि किस प्रकार से आतंकवादियों को वहां से अपनी गतिविधियां चलाने की इजाजत देना उनके हित में नहीं है.
क्लिंटन ने कहा, ‘इसके बाद उन्होंने भारतीय सीमा से अपने सैनिकों को हटाना शुरू कर दिया. उन्होंने अपना ध्यान पाकिस्तानी तालिबान पर लगाना शरू किया.’ क्लिंटन ने कहा, ‘इसलिए मुझे लगता है कि हमें उनके रूख की प्रशंसा करनी जानी चाहिए. इसका कोई बहाना नहीं है कि वे इन समूहों का समर्थन करके गंभीर, दुखदाई और रणनीतिक गलती कर रहे हैं.