प्रतिबंधित संगठन, युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के अध्यक्ष, अरविंद राजखोवा को शनिवार तड़के जेल से रिहा कर दिया गया. राजखोवा ने रिहाई के बाद कहा कि उनका संगठन बिना शर्त शांति वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन इस बारे में औपचारिक निर्णय जेल में बंद सभी नेताओं की रिहाई के बाद लिया जाएगा.
राजखोवा को गुवाहाटी जेल से जमानत पर रिहा किया गया. एक साल पहले उन्हें बांग्लादेश में गिरफ्तार किया गया था और असम में भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया गया था. विशेष टाडा अदालत ने गुरुवार को राजखोवा को जमानत दे दी थी, क्योंकि सरकारी वकील ने राजखोवा की जमानत याचिका का विरोध नहीं किया था.
राजखोवा ने जेल से बाहर कदम रखने के तत्काल बाद संवाददाताओं से कहा कि हम सरकार के साथ बिना शर्त शांति वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके बारे में औपचारिक निर्णय जेल में बंद सभी नेताओं की रिहाई के बाद हमारी कार्यकारिणी की बैठक में लिया जाएगा. जेल के बाहर राजखोवा के परिवार और मित्रों सहित भारी भीड़ ने उनका स्वागत किया.
राजखोवा ने कहा कि मैं इस अवसर पर सिटिजन फोरम (एक नागरिक संगठन, जिसने शांति वार्ता का मार्ग प्रशस्त करने के लिए अल्फा नेताओं की रिहाई की वकालत की थी) को, जिसने हमारी रिहाई के लिए दबाव बनाया और सरकार को भी, जिसने जनभावना का सम्मान करते हुए हमारी रिहाई में सहयोग किया, धन्यवाद देना चाहूंगा.