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यूपी: CMO को अगवा कराने की होगी जांच

उत्तर प्रदेश सरकार ने गोंडा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) को सूबे के एक राज्यमंत्री द्वारा कथित रूप से अगवा किये जाने संबंधी मीडिया रिपोर्टो का गम्भीरता से संज्ञान लेते हुए मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिये हैं.

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उत्तर प्रदेश सरकार ने गोंडा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) को सूबे के एक राज्यमंत्री द्वारा कथित रूप से अगवा किये जाने संबंधी मीडिया रिपोर्टो का गम्भीरता से संज्ञान लेते हुए मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिये हैं.

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प्रदेश के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री अहमद हसन ने बताया कि गोंडा के सीएमओ को सूबे के राजस्व एवं पुनर्वास राज्यमंत्री विनोद सिंह उर्फ पंडित सिंह द्वारा कथित रूप से अगवा किये जाने की मीडिया रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए सरकार ने इसकी जांच के लिये अपर स्वास्थ्य निदेशक की अगुवाई में दो सदस्यीय समिति गठित की है. समिति से अपनी रिपोर्ट शुक्रवार तक देने को कहा गया है.

सरकार के सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और सत्तारूढ़ दल समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने भी इस मामले से जुड़ी मीडिया की खबरों को गम्भीरता से लिया है.

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गौरतलब है कि बुधवार को मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के राजस्व एवं पुनर्वास राज्यमंत्री विनोद सिंह उर्फ पंडित सिंह ने अपने पसंदीदा लोगों को अनुबंध पर रखे जाने वाले डाक्टरों की सूची में शामिल करने से मना किए जाने पर गोंडा के सीएमओ डाक्टर एस. पी. सिंह को अगवा करा लिया था. हालांकि पंडित सिंह ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे उनकी छवि खराब करने की राजनीतिक साजिश करार दिया है.

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सीएमओ ने राज्यमंत्री से कहा था कि संविदा डाक्टरों की भर्ती प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और वह अब कुछ नहीं कर सकते. इससे आगबबूला हुए पंडित सिंह ने मुख्य चिकित्साधिकारी को जबरन अपने वाहन में लाद लिया और उन्हें स्वास्थ्य विभाग में तैनात दो लिपिकों मनोज कुमार और संजय गुप्ता के मकान में ले गये.

बाद में डाक्टर सिंह और दोनों लिपिकों को पहले तो सीएमओ के शिविर कार्यालय में लाया गया और फिर उन्हें राज्यमंत्री के घर ले जाया गया जहां उनसे कथित रूप से संविदा डाक्टरों की भर्ती की नई सूची तैयार करने को कहा गया.

इस बीच, प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव जे. पी. शर्मा ने बताया कि हालांकि कथित पीड़ित सीएमओ ने इस सिलसिले में कोई लिखित शिकायत नहीं की है लेकिन वह मामले में विस्तृत जानकारी हासिल करने के लिये स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों तथा कर्मचारियों के संपर्क में हैं.

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