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उत्तर प्रदेश: मौत का सौदागर

सुपारी लेकर 100 से ज्‍यादा हत्याओं को अंजाम देने का दम भरने वाला जग्गू पहलवान खुद को समाज का जागरूक पहरेदार बताता है.

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जग्गू पहलवान
जग्गू पहलवान

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सुपारी लेकर 100 से ज्‍यादा हत्याओं को अंजाम देने का दम भरने वाला जग्गू पहलवान खुद को समाज का जागरूक पहरेदार बताता है.

गाजियाबाद के निठोरा गांव में बार-बार बिजली गुल होने से नाराज होकर उसने उत्तर प्रदेश विद्युत बोर्ड के अधिशासी अभियंता एस.के. सिंह की पिटाई तक कर दी थी. तब से गांव में दिन में 16 घंटे बिजली रहती है.

1 अगस्त को जब इस खूंखार हत्यारे जोगिंदर उर्फ जग्गू पहलवान को, जिसका कार्यक्षेत्र दिल्ली से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा तक फैला था, गिरफ्तार किया गया तो उसकी पहली प्रतिक्रिया थीः ''जेल से बाहर आने पर मैं अपने सभी दुश्मनों को खत्म कर दूंगा.''

स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप के एक दल ने गाजियाबाद में हुई एक मुठभेड़ के बाद हत्या, हत्या के प्रयास, डकैती और जबरन वसूली के 27 मामलों में आरोपी 29 वर्षीय पहलवान और उसके पांच साथियों को गिरफ्तार कर लिया था. उसके खिलाफ कुछ मामले तो 1980 के राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत दर्ज हैं. वैसे, इस गैंगस्टर के परिवार का दावा है कि उसे नोएडा में एक दोस्त के घर से गिरफ्तार किया गया है.

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परिवारवालों का यह भी कहना है कि गिरफ्तारी के बाद वह कोई धमकी नहीं दे सकता था क्योंकि पुलिस हिरासत में उसे नशीली दवा दे दी गई थी और उसे मारा-पीटा गया था. उसकी मां कृष्णा देवी का कहना है कि थाने में जब वे बेटे से मिली तो उसने कहा, ''मैं नशे में हूं. पुलिस ने उसके चेहरे पर बंदूक के कुंदे से मारा था. उसकी आंखें एकदम लाल थीं.''

पुलिस का कहना है कि पहलवान ने अपनी आपराधिक गतिविधियां छोटी-सी उम्र में ही शुरू कर दी थीं. सुर्खियों में आने लायक सबसे पहला हमला उसने तब किया था जब वह सिर्फ 13 साल का था.

हत्या के मामले में सबसे पहले उसका नाम 1998 में एक लाख रु. की सुपारी लेकर दिल्ली के व्यापारी हंस कुमार जैन की हत्या के बाद सुर्खियों में आया था.

दिल्ली पुलिस का विशेष प्रकोष्ठ दो साल से पहलवान की तलाश में था. इस विशेष प्रकोष्ठ के पुलिस उपायुक्त अरुण कंपानी कहते हैं, ''वह गिरोहों की लड़ाई में भी शामिल था और उसने 2009 में गाजियाबाद के साहिबाबाद इलाके में विरोधी गिरोह के सदस्य अमित भारद्वाज की हत्या कर दी थी.''

पुलिस का यह भी दावा है कि 21 जुलाई को लोनी से नगरपालिका पार्षद सचिन चौधरी की हत्या में भी उसका हाथ है. पुलिस के अनुसार जग्गू ने चौधरी, जो बाद में पुलिस के मुखबिर बन गया था, के सिर में गोली मारी थी. लेकिन पहलवान का परिवार इस आरोप से इनकार करता है. पहलवान के 23 वर्षीय चचेरे भाई वीरजिंदर, जिसका दावा है कि वह हत्या के एक मामले में गिरफ्तारी से बच रहा है, बताता है, ''चौधरी तो हमारा दोस्त था. पुलिस हमें इस मामले में फंसा रही है.''

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गुड़गांव पुलिस को भी दोहरे हत्याकांड के एक मामले में उसकी तलाश है. पुलिस के मुताबिक, गुड़गांव के एक पार्षद वीरेंद्र उर्फ बिंदर ने पहलवान को 10 लाख रु. की सुपारी दी ताकि वह उसके विरोधी गिरोह का सफाया कर सके.

बिंदर को शक था कि इस साल अप्रैल में उस पर हुए हमले में उस गिरोह का हाथ था. इस हमले में पार्षद की जान तो बच गई लेकिन उसका दोस्त अनिल ककरान मारा गया था. पुलिस के मुताबिक, पहलवान ने संदीप घरोली और अशोक राठी की हत्या कर दी, जो मई में वीरेंद्र पर हमले में कथित रूप से शामिल थे.

गुड़गांव के पुलिस आयुक्त एस.एस. देसवाल का कहना है, ''गुड़गांव में इस तरह का यह पहला मामला दर्ज हुआ था. यहां सुपारी लेकर हत्या करने वाला कोई गिरोह काम नहीं करता.''

सुपारी लेकर हत्या करने वालों की नर्सरी माने जाने वाले निठोरा में पहलवान को अपराधी के रूप में नहीं देखा जाता. उसका दबदबा अभी पहले की तरह ही कायम है. एक पुलिस अधिकारी का कहना है, ''उसका परिवार बंदूक के दम पर अपना दबदबा रखता है.''

उसकी पत्नी सत्तो देवी गांव की प्रधान है और वह निर्विरोध निर्वाचित हुई थी. पहलवान का परिवार अब भी सारे आरोपों से इनकार करता आ रहा है. सरकारी ठेकेदारी से रिटायर हो चुके उसके पिता धरमवीर कहते हैं, ''वह हत्या के 100 मामलों में नहीं बल्कि सिर्फ पांच मामलों में ही शामिल है.''

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पहलवान का कहना है कि वह अपनी निजी सुरक्षा के लिए पिस्तौल रखता है. सत्तो देवी के अनुसार, ''यह राजनैतिक साजिश है.'' हालांकि वे इसकी कोई वजह नहीं बता पाती हैं. वे सवाल उठाती हैं, ''क्या आप यकीन कर सकते हैं कि बीवी-बच्चों वाला कोई आदमी 100 लोगों की हत्या कर सकता है.'' लेकिन पुलिस का रिकॉर्ड उनका खंडन करता है.

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