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एनआरएचएम में कैग ने पकड़ी 5000 करोड़ की गड़बड़ी

उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) की विशेष लेखा जांच में महालेख परीक्षक (कैग) ने इस योजना में 5000 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताएं पकड़ी हैं.

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फाइल फोटो: कैग रिपोर्ट
फाइल फोटो: कैग रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) की विशेष लेखा जांच में महालेख परीक्षक (कैग) ने इस योजना में 5000 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताएं पकड़ी हैं.

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पिछले वर्ष एनआरएचएम की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के लिए प्रतिपक्षी दलों की जोर पकड़ती मांग के मद्देनजर अगस्त महीने में प्रदेश के मुख्य सचिव ने कैग से इस योजना की विशेष लेखा जांच का आग्रह किया था और कैग ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि इस योजना के लिए केन्द्र से मिले 8657 करोड़ रुपये में से लगभग 5000 करोड़ रुपये के व्यय के बारे में संतोषजनक ब्यौरा उपलब्ध नहीं है.

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार के एनआरएचएम के तहत संचालित विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं के लिए वर्ष 2011 तक मिले कुल 8657 करोड़ रुपये में से लगभग 5000 करोड़ रुपये के व्यय आवंटन एवं उपयोग के बारे में संतोषजनक विवरण उपलब्ध नहीं हैं और बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं पकड़ में आयी हैं.

अपनी जांच रिपोर्ट में कैग ने जिन महत्वपूर्ण वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा किया है, उसमें 1170 करोड़ रुपये गैर पंजीकृत सोसाइटी के जरिए और खुली निविदा और करार की शर्त का उल्लंघन करके विभिन्न संस्थाओं और संगठनों को आवंटित कर दिये जाने की बात शामिल है.

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राजभवन पहुंची कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि इस योजना के तहत अहम और बड़ी खरीदारियों के लिए धन आवंटित करने के बारे में निर्णय लेने के लिए प्रमुख सचिव स्तर के तीन अधिकारियों की समिति के गठन का प्रावधान है जबकि सारे निर्णय और आदेश प्रमुख सचिव स्तर के केवल एक अधिकारी द्वारा ही लिए गये हैं.

उल्लेखनीय है कि एनआरएचएम के तहत विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के क्रियान्वयन में बड़े पैमाने वित्तीय अनियमितताओं की बात वर्ष 2010 में परिवार कल्याण विभाग के तत्कालीन मुख्य चिकित्साधिकारी वी के आर्य और पिछले वर्ष उनके स्थान पर तैनात दूसरे मुख्य चिकित्साधिकारी डा. बी पी सिंह की दिनदहाड़े हुई हत्याओं की जांच के दौरान सामने आयी थी. उस सिलसिले में योजना से जुड़े दो मंत्रियों अनंत कुमार मिश्र और बाबू सिंह कुशवाहा को उनके पद से हटा दिया गया था.

जांच आगे बढ़ने पर उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. वाईएस सचान सहित विभाग के कई कर्मचारी गिरफ्तार हुए थे जिनमें से सचान की लखनऊ जिला जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गयी थी. इसकी जांच फिलहाल सीबीआई के हाथ में है.

एनआरएचएम घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के लिए विपक्षी दलों की बढ़ती मांग और योजना के क्रियान्यवन के बारे में कांग्रेस द्वारा सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत मांगी गयी जानकारी के बाद प्रदेश सरकार ने अगस्त माह में विपक्षी हमलों की धार कुंद करने के लिए कैग से इस योजना के आय व्यय का विशेष लेखा जांच का आग्रह किया था.

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बहरहाल, उच्च न्यायालय के आदेश के बाद प्रदेश सरकार ने एनआरएचएम की जांच सीबीआई को सौंप दी थी.

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