यूपी में जमीन को लेकर जंग का दायरा बढ़ता ही जा रहा है. ग्रेटर नोएडा से शुरू हुआ टकराव आगरा तक जा पहुंचा है. ज़मीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे किसानों और पुलिस के बीच हुई गोलीबारी में अब तक चार जानें जा चुकी हैं. इसमें दो किसान मारे गए हैं, तो पुलिस के दो जवानों की भी मौत हो गई है.
ग्रेटर नोएडा से उठ रही हिंसा की लपटों ने बहुत जल्द आगरा का रुख कर लिया. उत्तर प्रदेश के कई अन्य इलाकों में भी तनाव व्याप्त है. यमुना एक्सप्रेस-वे के विरोध में किसानों ने निजी बिल्डर के दफ़्तर में आग लगा दी और पुलिस पर पथराव किया.
आगरा के चौगान गांव का माहौल बेहद भयानक है. यहां जमीन अधिग्रहण के खिलाफ किसानों ने रविवार को यमुना एक्सप्रेस-वे के दफ्तर में आग लगा दी. इसके बाद हिंसा की आग भड़की तो पुलिस और सीआरपीएफ के जवान मौके से भागने लगे.
दरअसल आगरा के चौगान गांव में यमुना एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट की टीम मौके पर पहुंची थी. सड़क बनाने के लिए इलाके खाली कराए जा रहे थे और मौके पर तोड़फोड़ की जा रही थी, लेकिन इससे गांववालों का गुस्सा भड़क गया.
गांव के लोग लाठी लेकर पुलिस को दौड़ा रहे थे. पुलिसवालों को कुछ लोग लाठी से मार रहे थे, तो कुछ लोग पत्थर बरसा रहे थे. किसानों के हमले में कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए, लेकिन इस अफरातफरी में जो भाग नहीं सका, उसे गांववालों ने बंधक बना लिया.
आगरा के सैकड़ों किसानों ने सबसे पहले धावा बोला था यमुना एक्सप्रेस वे बना रही कंपनी के दफ़्तर पर और देखते ही देखते दफ्तर में आग लगा दी. जेनरेटर धू-धू कर जलने लगे. तंबू-कनात और फर्नीचर जलकर खाक हो गए.
बाद में पुलिस ने पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया गया.
इस बीच ग्रेटर नोएडा को पुलिस ने छावनी में तब्दील कर रखा है. भट्टा परसौल में सन्नाटा पसरा हुआ है और पुलिस ने अब तक 22 किसानों को गिरफ्तार कर लिया है.
ग्रेटर नोएडा के भट्टा परसौल गांव में चारों ओर मातम पसरा हुआ है और हर शख्स कराह रहा है खाकी वर्दी वालों के बेइंतहा जुल्म से. यहां शनिवार को पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने मिलकर जो नंगा नाच खेला था, उसके बाद सारे मर्द गांव छोड़कर भाग खड़े हुए हैं. गांव में वो ही बचा है जो घायल है और दर्द से तड़प रहा है, जबकि महिलाओं की जुबान पर अपने घर में हुई लूटपाट और बच्चों पर बरसी लाठी की कभी ना खत्म होने वाली कहानी है.
हिंसक झड़प के दूसरे दिन पुलिस के जवान गांव में आरोपियों की तलाश में निकले और लोगों के खेतों में आग लगाते चले गए. गांववालों का कहना है कि पुलिसवालों ने ये भी नहीं देखा कि वो आरोपी का नुकसान कर रहे हैं या आम लोगों का. आग लगाने से रोकने के लिए जो भी सामने आया, उसे बुरी तरह पीटा गया.
गांव के बुजुर्ग तक दहशत में हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी में ऐसा जुल्म और पुलिस का कहर बरपाने वाला चेहरा कभी नहीं देखा. बुजुर्ग भी अपने हालात पर रो रहे हैं.
शनिवार को मुआवजे की मांग को लेकर गांववालों ने रोडवेज के तीन कर्मचारियों को बंधक बना लिया था. इसके बाद जिला प्रशासन करीब दो हजार पीएसी जवानों के साथ ग्रेटर नोएडा पहुंचा, लेकिन जवानों की इतनी बड़ी तादाद देखकर किसानों का गुस्सा फूट पड़ा.
पुलिस और जवानों के बीच जब घमासान शुरू हुआ तो तीन घंटे तक किसी के रोके नहीं रुका. जमीन के लिए खेले गए इस खूनी खेल में गौतम बुद्धनगर के डीएम दीपक अग्रवाल के पैर में भी गोली लगी थी और वो किसी तरह मौके से जान बचाकर भागे.
पुलिस ने किसानों की अगुवाई कर रहे फरार नेता मनवीर तेवतिया पर 50 हज़ार का ईनाम घोषित कर दिया है और पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया है. पहरा इतना कड़ा कि दल बल के साथ भट्टा पुरसौल गांव जा रहे राष्ट्रीय लोकदल के नेता अजित सिंह को भी गांव में घुसने नहीं दिया गया.