स्थानीय पुलिस के दावों के विपरीत उत्तर प्रदेश पुलिस ने लखीमपुर जिले के निघासन थाना परिसर में गत शुक्रवार को संदिग्ध परिस्थितियों में पेड़ पर फांसी के फंदे से लटकती पाई गई नाबालिग लड़की की गला दबाकर हत्या किये जाने की पुष्टि की और उससे बलात्कार होने से इनकार किया. साथ ही जिला पुलिस अधीक्षक को हटा दिया गया.
प्रदेश के विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) बृजलाल ने संवाददाताओं से कहा, ‘लड़की के शव के दोबारा हुए पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में उसकी गला दबाकर हत्या करने की पुष्टि हुई है जबकि बलात्कार की बात सही नहीं पाई गई है.’ उन्होंने कहा कि इस मामले में लापरवाही बरतने के लिये पुलिस अधीक्षक डी. के. राय को हटाकर उनके स्थान पर 35वीं वाहिनी पीएसी के कमांडेंट अमित चंद्रा को तैनात किया गया है.
बृजलाल ने बताया कि शव का पहला पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों ए. के. अग्रवाल, एस. पी. सिंह और ए. के. शर्मा को गलत रिपोर्ट देने के आरोप में निलम्बित कर दिया गया है.
उन्होंने कहा कि पहले पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में लड़की की मौत फांसी से लटकने की वजह से होना बताया गया था लेकिन पेड़ की जिस डाल से फांसी लगाने की बात कही जा रही थी उसकी ऊंचाई महज चार फुट आठ इंच है जबकि लड़की की लम्बाई चार फुट 10 इंच थी. ऐसे में संदेह उत्पन्न होने पर लखनऊ के डाक्टरों से शव का दोबारा पोस्टमार्टम कराया गया.
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि लड़की के योनि द्रव्य को फोरेंसिक प्रयोगशाला में नहीं भेजा जाएगा क्योंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद संदेह की गुंजाइश नहीं बनती. बृजलाल ने बताया कि 14 वर्षीय लड़की की संदिग्ध परिस्थिति में मौत के इस मामले में थाने में तैनात सभी 11 पुलिसकर्मियों को निलम्बित कर दिया गया है.
इसके अलावा घटना के साक्ष्य मिटाने के मामले में उपनिरीक्षक वी.के. सिंह, कांस्टेबल उमाशंकर और शिव कुमार तथा रसोइये रामचन्द्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. उन्होंने बताया कि सीबीसीआईडी इस मामले की जांच कर रही है. उसकी टीम मौके पर पहुंच गई है. साथ ही फोरेंसिक जांच टीम ने भी घटनास्थल पर पहुंच गई है.
इसके पूर्व, लखनऊ के मंडलायुक्त प्रशांत त्रिवेदी तथा पुलिस महानिरीक्षक सुबेश कुमार ने भी लखीमपुर खीरी में इस बात की पुष्टि की कि लड़की की गला दबाकर हत्या की गई थी और उसकी मौत फंदे से लटकने के कारण दम घुटने की वजह से नहीं हुई है, जैसा कि पहली पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया था. ज्ञातव्य है कि जिला पुलिस अधीक्षक डी. के. राय ने रविवार को पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर कहा था कि उस लड़की की मौत फांसी लगाने की वजह से हुई है और उसकी हत्या नहीं की गई है.
इस बीच, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में इस प्रकरण की सीबीआई से जांच कराने के निर्देश देने की मांग सम्बन्धी जनहित याचिका भी दायर की गई है. ‘वी द पीपुल’ नामक संस्था द्वारा दायर इस याचिका पर सुनवाई 15 जून को सम्भावित है. गौरतलब है कि संदिग्ध परिस्थितियों में मृत 14 वर्षीय सोनम का शव गत शुक्रवार देर रात जिले के निघासन थाना परिसर में लगे एक पेड़ से लटकता पाया गया था.
लड़की के परिजन ने उसकी बलात्कार के बाद हत्या किये जाने का आरोप लगाया था. सोनम निर्माणाधीन भवन के नजदीक स्थित मैदान में जानवर चराने के लिये घर से निकली थी. शाम तक नहीं लौटने पर उसकी मां तरन्नुम ने तलाश शुरू की और देर रात उसका शव पेड़ से लटकता हुआ पाया. सोनम की मां की शिकायत पर बलात्कार और हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है.
इस बीच मामले ने राजनीतिक रंग लेना भी शुरू कर दिया है और सपा, भाजपा समेत कई विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना करते हुए इसकी गहन जांच की मांग की है.
सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने इस मामले पर मुख्यमंत्री मायावती से इस्तीफे की मांग करते हुए प्रकरण की गहन जांच कराने की मांग की. उन्होंने कहा कि लखीमपुर खीरी के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक डी. के. राय ने भी हत्या को आत्महत्या साबित करने की कोशिश की. पुलिस के दबाव में ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी गड़बड़ी की गई, लिहाजा पुलिस अधीक्षक तथा थाने के सभी पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिये.
भाजपा प्रवक्ता उदय नारायण दीक्षित ने इस घटना को राज्य सरकार के दामन पर बदनुमा दाग करार देते हुए इसकी सीबीआई से जांच कराने की मांग की. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंपकर घटना के तथ्यों को छुपाना चाहती है. उसने निघासन थाने में तैनात सभी पुलिसकर्मियों को निलम्बित कर पूरी घटना पर परदा डालने की कोशिश की. इसी क्रम में डाक्टरों ने भी पहले पोस्टमार्टम की रिपोर्ट अभियुक्तों के पक्ष में दी.
भाकपा ने निघासन क्षेत्र की इस घटना को शर्मनाक और घिनौनी करार देते हुए मामले की न्यायिक जांच की मांग की. पार्टी के राज्य सचिव डाक्टर गिरीश ने कहा कि राज्य में महिलाओं के प्रति जघन्य अपराध हो रहे हैं और सरकार उन्हें रोकने में नाकाम हो चुकी है.