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मायावती के नाम पर चल रही योजनाओं पर ग्रहण

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई समाजवादी पार्टी (सपा) के शासनकाल में अब मायावती सरकार के समय में शुरू की गई कुछ योजनाओं को बंद किए जाने तथा कुछ योजनाओं की धनराशि को रोके जाने का खतरा मंडराने लगा है.

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अखिलेश यादव
अखिलेश यादव

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई समाजवादी पार्टी (सपा) के शासनकाल में अब मायावती सरकार के समय में शुरू की गई कुछ योजनाओं को बंद किए जाने तथा कुछ योजनाओं की धनराशि को रोके जाने का खतरा मंडराने लगा है.

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मायावती ने अपने कार्यकाल के दौरान ग्राम्य विकास विभाग में कुछ योजनाओं की शुरुआत की थी, जिसमें महामाया आवास योजना और महामाया सर्वजन आवास योजना, कांशीराम आवास योजना, कांशीराम शहरी समग्र विकास योजना शामिल हैं. इसके साथ ही मायावती की ओर से अम्बेडकर ग्राम विकास योजना भी शुरू की गयी थी, जिसके तहत अम्बेडकर ग्राम घोषित किए गए गांवों को काफी चमकाने की कोशिश की गयी थी. हालांकि गावों को चमकाने के नाम पर ठेकेदारों ने जमकर लूट मचाई थी.

सपा की सरकार बनने के बाद अब ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि इन योजनाओं को बंद किया जा सकता है या फिर इन योजनाओं को जारी होने वाली धनराशि रोकी जा सकती है. मायावती ने इंदिरा आवास योजना की तर्ज पर ही महामाया आवास योजना की शुरुआत वर्ष 2007-08 में की थी, जिसके तहत केवल अनुसूचित जाति तथा जनजाति के गरीब परिवारों को ही आवास मिल सकता है.

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इसी तरह पूर्ववर्ती मायावती सरकार ने वर्ष 2008-09 में महामाया सर्वजन आवास योजना की शुरुआत की थी जिसके तहत गैरअनुसूचित जाति और अनुसूचित जाति के लोगों को ही इसका लाभ मिलता है. योजना के तहत लाभार्थी को 45 हजार रुपये दिए जाते हैं.

ग्राम्य विकास अधिकारियों की मानें तो लाख टके का सवाल यह है कि अब सपा सरकार पूर्ववर्ती बसपा सरकार की मुखिया के नाम पर चलायी जा रही योजनाओं का प्रचार करना क्यों चाहेगी इसलिए अब सरकार की तरफ से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि इन योजनाओं आने वाले दिनों में बंद किया जा सकता है.

ग्राम्य विकास विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि गरीब परिवारों को आवास उपलब्ध कराने के लिए पहले से ही इंदिरा आवास योजना की व्यवस्था है. अब नई सरकार किसी भी कीमत पर यह नहीं चाहेगी कि महामाया के नाम पर योजनाएं चलाकर पूर्ववर्ती सरकार का गुणगान किया जाए. अधिकारी ने बताया कि सरकार में इस बात को लेकर मंथन चल रहा है कि महामाया के नाम पर चल रही योजनाओं को बंद कर दिया जाए या इन्हें दूसरे के नाम पर चलाया जाए.

राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार अभयानंद शुक्ल कहते हैं कि इस बात की सम्भावनाएं हैं कि मायावती के कार्यकाल में शुरू हुई योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाला जा सकता है या फिर योजनाओं के नाम पर जारी होने वाली धनराशि रोकी जा सकती है. शुक्ल कहते हैं कि यह ठीक उसी प्रकार हो सकता है जैसे मायावती ने सत्ता में आते ही लखनऊ में बने लोहिया पार्क को दरकिनार कर सारा ध्यान अम्बेडकर पार्क और मूर्तियों पर लगा दिया था. उसी प्रकार सपा की सरकार भी अब अपने महापुरूषों को लेकर योजनाएं बनाए तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए.

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इस बीच बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के रणनीतिकारों का मानना है कि अनुसूचित जाति और जनजाति तथा अम्बेडकर के नाम पर चल रही योजनाओं को नई सरकार के लिए बंद करना आसान नहीं होगा क्योंकि सबसे अधिक 50 दलित विधायक सपा से ही जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं.

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