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मायावती सरकार ने की डॉक्टर सचान की मौत की सीबीआई जांच की सिफारिश

उप मुख्य चिकित्साधिकारी (डिप्टी सीएमओ) डाक्टर वाई. एस. सचान की लखनऊ जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की सीबीआई जांच की मांग सम्बन्धी याचिका पर अदालत के गुरुवार को आने वाले निर्णय से एक दिन पहले उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने मामले की जांच सीबीआई के सुपुर्द करने की सिफारिश कर दी.

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वाई. एस. सचान
वाई. एस. सचान

उप मुख्य चिकित्साधिकारी (डिप्टी सीएमओ) डाक्टर वाई. एस. सचान की लखनऊ जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की सीबीआई जांच की मांग सम्बन्धी याचिका पर अदालत के गुरुवार को आने वाले निर्णय से एक दिन पहले उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने मामले की जांच सीबीआई के सुपुर्द करने की सिफारिश कर दी.

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मुख्यमंत्री ने अपने सरकारी आवास पर आहूत वरिष्ठ पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक में डॉक्टर सचान की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के प्रकरण की विवेचना की समीक्षा करते हुए असंतोषजनक प्रगति पर अफसरों को कड़ी फटकार लगाई और मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के निर्देश दिये.

गौरतलब है कि डॉक्टर सचान की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की सीबीआई जांच की मांग सम्बन्धी अर्जी पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ गुरुवार को अपना फैसला सुनाने वाली है. उससे ऐन पहले सरकार ने यह कदम उठाया है. मायावती ने कहा कि डॉक्टर सचान के परिजनों ने राज्य पुलिस के प्रति अविश्वास प्रकट किया था. इसलिये सरकार ने मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के समक्ष मामले की तहकीकात विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने का इरादा जताया था.

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उन्होंने अधिकारियों से कहा कि चूंकि डॉक्टर सचान के परिजन सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे. इसलिये इस मामले की जांच फौरन शीर्ष एजेंसी के सुपुर्द की जाए. मुख्यमंत्री ने पुलिस तथा प्रशासन के वरिष्ठ अफसरों को आड़े हाथ लेते हुए डॉक्टर सचान के परिजन की मंशा के अनुरूप शीर्घ कार्रवाई करने के निर्देश भी दिये.

उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि सीबीआई इस प्रकरण में निष्पक्षता और पारदर्शितापूर्ण तरीके से जांच करके सच को जल्द उजागर करेगी.

गौरतलब है कि इस साल अप्रैल में मारे गए मुख्य चिकित्साधिकारी (परिवार कल्याण) बी. पी. सिंह हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त डिप्टी सीएमओ डॉक्टर वाई. एस. सचान गत 22 जून को लखनऊ जिला जेल के अस्पताल में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए थे. राज्य सरकार ने इसे आत्महत्या का मामला बताया था, जबकि मामले की न्यायिक जांच में इसे प्रथम दृष्टया हत्या करार दिया गया था.

वारदात के अगले ही दिन डॉक्टर सचान के परिजन ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी. इस बीच, सचान की मौत के मामले की न्यायिक जांच की अदालत में पेश रिपोर्ट में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) राजेश उपाध्याय ने इसे प्रथम दृष्टया हत्या का मामला बताया था.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने सचान की मृत्यु की सीबीआई से जांच कराने के आदेश देने के आग्रह सम्बन्धी याचिका पर फैसला सुनाने के लिये 14 जुलाई की तारीख नियत की थी. ज्ञातव्य है कि सचान के परिजन और विपक्षी पार्टियों के तमाम मांग करने के बावजूद राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने से साफ इनकार कर दिया था.

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न्यायमूर्ति प्रदीप कांत तथा न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी की पीठ के समक्ष मंगलवार को हुई मामले की सुनवाई में सरकार ने अपने इसी रुख को बरकरार रखते हुए अपर महाधिवक्ता जयदीप माथुर के जरिये मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग का विरोध करते हुए दलील दी थी, ‘केन्द्र सरकार के अधीन काम करने वाली सीबीआई कोई स्वतंत्र जांच एजेंसी नहीं है और पूर्व में इस एजेंसी का राजनीतिक इस्तेमाल किये जाने के कई उदाहरण मौजूद हैं.’

माथुर ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा था कि प्रदेश सरकार इस प्रकरण की जांच में पूरी पारदर्शिता बरतना चाहती है और वह डाक्टर सचान की मृत्यु की जांच एसआईटी से कराने की पक्षधर है.

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