उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में एकीकृत एक्शन प्लान के तहत हो रहे विकास कार्यों का जायजा लेने आए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने प्रदेश के विभाजन का सुझाव दिया है. जयराम रमेश का कहना है कि देश के सबसे बड़े राज्य में प्रशासनिक विसंगतियों को खत्म करने के लिए प्रदेश का विभाजन कर देना चाहिए.
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि राज्य में विकराल समस्याएं हैं. यहां 75 जिले, 20 करोड़ की जनसंख्या और प्रत्येक जिले में करीब 25 लाख लोग रहते हैं. जयराम कांग्रेस के पहले ऐसे नेता है, जिन्होंने प्रदेश के विभाजन संबंधी बयान दिया है.
इसके पहले प्रदेश की पूर्व बसपा सरकार के दौरान मायावती ने विधानसभा में राज्य को चार हिस्सों में बांटने संबंधी एक विवादास्पद प्रस्ताव को पारित कराया था. हालांकि केंद्र ने बसपा सरकार के प्रस्ताव को वापस लौटा दिया था, जिससे मायावती अपने मकसद में सफल नहीं हो पाई थीं.
इस मसले पर कांग्रेस का कहना था कि वो राज्य के विभाजन पर फैसला लेने से पहले राज्य पुनर्गठन आयोग के गठन के पक्ष में है, जोकि संसाधनों के विभाजन और अन्य मुद्दों पर विचार कर सके. सपा ने बसपा सरकार के प्रस्ताव का विरोध किया था. सपा का कहना था कि उत्तर प्रदेश की जनता राज्य के विभाजन के खिलाफ है.
रमेश ने कहा कि प्रशासन राज्य खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के पिछड़े इलाकों में पहुंचने में सफल नहीं रहा है. उन्होंने कहा कि इसकी वजह बड़ा आकार और अत्यधिक जनसंख्या है.