इसे लोगों में बढ़ती जागरूकता कहें या देश में बढ़ता अपराध का ग्राफ, लेकिन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में पीड़ितों की शिकायतों की बाढ़ सी आई हुई है. आलम यह है कि पिछले तीन महीने में मानवाधिकार उल्लंघन संबंधी शिकायतों का आंकड़ा लगभग आठ हजार तक पहुंच रहा है.
मानवाधिकार उल्लंघन की सबसे ज्यादा शिकायतें उत्तर प्रदेश से आ रही हैं और इस सूची में दूसरे स्थान पर राजधानी दिल्ली है.
एनएचआरसी द्वारा उपलब्ध कराये गये दस्तावेजों से स्पष्ट है कि जुलाई के महीने में आयोग के पास 8175 शिकायतें दर्ज हुई जबकि इससे पहले जून के महीने में 8361 और मई में 7979 शिकायतें दर्ज हुई थीं.
खास बात यह है कि अगस्त के पहले सप्ताह :एक से सात अगस्त तक: में आयोग को 3901 शिकायतें मिल चुकी हैं और अगर यही क्रम जारी रहा तो संख्या बहुत आगे तक जा सकती है.
उत्तर प्रदेश से मानवाधिकार संबंधी शिकायतों की संख्या सबसे ज्यादा है. उत्तर प्रदेश से जून में 5501, मई में 4522, अप्रैल में 4391, मार्च में 4413, फरवरी में 3450 और जनवरी 3231 मानवाधिकार हनन संबंधी शिकायतें आई.
आंकड़ों से साफ है कि आयोग के पास उत्तर प्रदेश से आने वाली शिकायतों की संख्या कुल संख्या के 50 फीसदी से भी अधिक है. इस साल आयोग को जनवरी में कुल 5205, फरवरी में 5863, मार्च में 7707, और अप्रैल में 7490 शिकायतें मिलीं.
शिकायतों की सूची में दिल्ली दूसरे स्थान पर है. आयोग को दिल्ली से जून में 641, मई में 685, अप्रैल में 614, मार्च में 567, फरवरी में 348 और जनवरी में 303 शिकायतें मिलीं. आयोग को मिली शिकायतों की सूची में उत्तर प्रदेश और दिल्ली के बाद हरियाणा, मध्य प्रदेश और बिहार का नंबर आता है.
एनएचआरसी में सिक्किम से सबसे कम शिकायतें मिलीं. इस राज्य से इस साल जनवरी, फरवरी, मार्च में एक भी शिकायत नहीं मिली जबकि अप्रैल में एक, मई में दो और जून में एक शिकायत आई.
गौरतलब है कि एनएचआरसी के अलावा मानवाधिकार उल्लंघन की शिकायतें राज्य मानवाधिकार आयोग में भी दर्ज की जाती हैं. राज्य मानवाधिकार आयोग स्वतंत्र रूप से काम करता है.