घोटालों के चलते घिरी और बड़े पैमाने पर आर्थिक सुधार लागू नहीं कर पा रही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली संप्रग-2 सरकार के रविवार को दो साल पूरे हो गए. पिछले आठ महीनों से यह सरकार विभिन्न घोटालों के उजागर होने के चलते जूझ रही है.
केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व कर रही कांग्रेस के लिये राहत की एकमात्र खबर हालिया विधानसभा चुनावों से आयी है. पार्टी ने असम में सत्ता बचाये रखी और केरल में भी उसने अपनी सरकार बना ली. पश्चिम बंगाल की स्थिति से भी वह खुश है जहां कांग्रेस ने संप्रग के अहम सहयोगी दल तृणमूल कांग्रेस के साथ मिलकर वाम मोर्चे को 34 वर्ष बाद सत्ता से बेदखल कर दिया है.
संप्रग का सरकार के दो वर्ष पूरे होने के मौके पर रविवार शाम प्रधानमंत्री आवास पर जश्न मनाने का कार्यक्रम है.
पिछले कुछ महीनों में सरकार के लिये मुश्किलें तब खड़ी हुईं जब उच्चतम न्यायालय ने 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन और केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के पद पर पी जे थॉमस की नियुक्ति को लेकर प्रधानमंत्री को सवालों के घेरे में डाला. शीर्ष अदालत ने सिंह से यह भी सवाल किया कि जब ए. राजा दूरसंचार मंत्री थे तब घोटाले की आशंका के कई संकेत मिलने के बावजूद उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गयी.
संप्रग सरकार के समक्ष एक और चुनौती महंगाई के मुद्दे पर है क्योंकि ईंधन की कीमत बढ़ने से जरूरी वस्तुओं की कीमतों के और बढ़ने के आसार हैं.
राजा के साथ ही कांग्रेस सांसद सुरेश कलमाडी तथा द्रमुक सांसद कनिमोई भी भ्रष्टाचार के मामलों में सलाखों के पीछे हैं. इसके चलते सरकार इस बार जश्न को पहले की तरह गर्मजोशी से नहीं मना पायेगी. मंगलोर में विमान हादसे के कारण पिछले वर्ष 22 मई को संप्रग-2 की सरकार का एक वर्ष पूरा होने का जश्न नहीं मनाया गया था.
इन सभी विवादों की इंतेहा तब हो गयी जब सरकार पाकिस्तान को भेजी गयी 50 सबसे वांछित भगोड़ों की सूची को लेकर घिर गयी. कुछ वांछितों के देश में ही पाये जाने के बाद सरकार को शर्मिन्दगी झेलनी पड़ी.
वाम दलों पर निर्भरता नहीं होने के कारण संप्रग-2 सरकार से उम्मीद थी कि वह आर्थिक और रिटेल उद्योग क्षेत्र में अहम सुधार ला पायेगी लेकिन इन मुद्दों पर सरकार ज्यादा कुछ नहीं कर पायी है.
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर गांधीवादी अन्ना हज़ारे के आंदोलन के आगे सरकार को झुकना पड़ा और वषरें से लंबित मजबूत लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिये सरकार संयुक्त समिति गठित करने को राजी हो गयी.
आने वाले एक वर्ष में भी संप्रग के समक्ष बड़ी चुनौतियां मौजूद हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.
इन सब के बावजूद आर्थिक मोर्चे पर विश्व भर से भारत की सराहना हो रही है. इस वर्ष भारत की आर्थिक वृद्धि दर 8.5 फीसदी दर्ज की गयी जो विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती चीन की अर्थव्यवस्था के बराबर आ गयी है.