वामदल दूसरे दौर के सुधारों पर निर्णय लेने के लिए सरकार पर जमकर बरसे और उन्होंने कहा कि जब ये नीतिगत उपाय संसद में लाये जाएंगे तब वे उसे गिराने के लिए भरसक प्रयास करेंगे.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव प्रकाश करात ने कहा, ‘संप्रग सरकार सभी क्षेत्रों में देश का हित बेचने का निश्चय कर चुकी है. हम संसद में इन सभी विधेयकों को गिराने का प्रयास करेंगे.’
बीमा क्षेत्र, पेंशन एवं वायदा अनुबंधन विनियमन (संशोधन) विधेयक तथा अन्य पर मंत्रिमंडल के फैसले को ‘पश्चगामी’ करार देते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सचिव डी राजा ने कहा, ‘जहां तक आर्थिक नीतियों की बात है तो स्पष्ट है कि कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार दक्षिणपंथी स्थिति की ओर काफी झुक रही है. वह अंधाधुंध नव उदारवादी नीतियों पर बढ़ रही है.’
उन्होंने सामाजिक जिम्मेदारी से पीछे हटने को लेकर सरकार की निंदा करते हुए कहा कि सरकार पेंशन कोष में कोई योगदान नहीं करती है और यह आत्मपोषी है लेकिन उसने कठिन मेहनत से कमाई इस राशि को विदेशी पूंजी के हाथों में देने का फैसला किया है.