लीबिया में गद्दाफी हुकूमत के खिलाफ अमेरिका और मित्रदेशों की सेनाओं ने मोर्चा खोल दिया है. संयुक्त राष्ट्र संघ से लीबिया में सैनिक कार्रवाई की हरी झंडी मिलते ही अमेरिका और अन्य मित्र देशों ने कार्रवाई शुरू कर दी है.
अमेरिका और ब्रिटेन ने त्रिपोली स्थित लीबिया के रक्षा प्रतिष्ठानों पर ‘टोमहॉक’ मिसाइलों से हमला किया है. मिसाइल हमले से कुछ देर पहले फ्रांस के युद्धक विमानों ने लीबिया के आकाश में उड़ान निषिद्ध क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए बेनगाजी के ऊपर उड़ान भरी.
अमेरिकी नौसेना के वाइस एडमिरल विलियम गोर्टनी ने पेंटागन को बताया कि अमेरिकी और ब्रिटिश जहाजों तथा पनडुब्बियों से लीबिया के लगभग 20 हवाई एवं मिसाइल रक्षा प्रतिष्ठानों पर 110 से अधिक ‘टोमहॉक’ मिसाइलें दागी गईं.
गोर्टनी ने कहा ‘‘गठबंधन बलों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस प्रस्ताव 1973 को लागू करने के लिए ‘ऑपरेशन डॉन ओडिसी’ शुरू किया है, जिसमें लीबियाई लोगों को उनके शासक (मुअम्मर कज्जाफी) से बचाने की बात कही गई है.’’{mospagebreak}
पेंटागन ने एक बयान में कहा कि अमेरिकी बल गठबंधन के अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं और लीबिया के एकीकृत हवाई तथा मिसाइल रक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा ‘‘अभियान में राजधानी त्रिपोली के इर्द-गिर्द स्थित राडारों और विमानभेदी स्थलों तथा भूमध्यसागरीय तट स्थित अन्य ठिकानों को निशाना बनाया जा रहा है.’’
अमेरिका इन स्थलों को हुए नुकसान का आकलन करेगा, जिनमें एसए-5 मिसाइलें और संचार प्रतिष्ठान शामिल हैं.
इससे पहले फ्रांसीसी युद्धक विमानों ने विद्रोहियों के कब्जे वाले बेनगाजी के बाहर कज्जाफी के बलों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे चार टैंकों को निशाना बनाया. यह हमला ऐसे समय हुआ जब कज्जाफी के बलों ने विद्रोही लड़ाकों पर लगातार गोलाबारी की और मोर्टार दागे.
लीबिया के सरकारी टेलीविजन ने हालांकि कहा कि त्रिपोली में नागरिक ठिकानों और मिसुराता में ईंधन के भंडारों पर बमबारी की गई है. सरकारी समाचार एजेंसी ने कहा कि इन हमलों में नागरिक हताहत हुए हैं. कज्जाफी के बलों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के लिए अपने नेताओं से मंजूरी मिलने के बाद गठबंधन बलों ने इन हमलों को अंजाम दिया है.