अमेरिका में मुंबई हमले से जुड़े लश्कर-ए-तैयबा के चार पाकिस्तानी सदस्यों को आरोपी बनाया गया है.
शिकागो की एक अदालत में जिन लोगों को सोमवार को आरोपी बनाया गया, उनके नाम साजिद मीर, मजहर इकबाल, अबू कहाफा और ‘मेजर इकबाल’ हैं. आरोप पत्र में ‘लश्कर सदस्य डी’ नाम से एक व्यक्ति को आरोपी बनाया गया है. ये सभी पाकिस्तानी नागरिक हैं. इन चारों आरोपियों की शिनाख्त पहले की गई थी, लेकिन इनका नाम पहले के आरोप पत्र में नहीं था. पहले पाकिस्तानी मूल के संदिग्ध आतंकी डेविड कोलमैन हेडली और तहव्वुर राणा को मुंबई हमले के संदर्भ में आरोपी बनाया गया था.
अमेरिकी अभियोजकों के मुताबिक साजिद मीर लश्कर से जुड़ा था और इस आतंकवादी संगठन और दूसरे संगठनों के बीच के संबंधों की निगरानी करता था. उसने हेडली के सहयोगी की भूमिका निभाई थी. मुंबई हमले से जुड़ी अपनी भूमिका को हेडली पहले ही स्वीकार कर चुका है. अबू कहाफा का ताल्लुक भी लश्कर से है. वह लश्कर के प्रशिक्षिण शिविर में आतंकवादियों को हमलों के लिए आधुनिक तकनीक के गुर सिखाता था.
दूसरी ओर मजहर इकबाल और ‘लश्कर सदस्य डी’ इस पाकिस्तानी आतंकी संगठन के स्वयंभू कमांडर हैं. अभियोजकों का कहना है कि ‘मेजर इकबाल’ नामक शख्स ने मुंबई हमले की साजिश रचने और वित्तीय मदद देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. साजिद, कहाफा और मजहर ने हेडली, ‘लश्कर सदस्य डी’ और अन्य के साथ मिकलर पूरी साजिश रची थी.
अदालत में लगाये गये अभियोग के मुताबिक इन लोगों ने बड़े पैमाने पर जानमाल का नुकसान करने के मकसद से यह पूरी साजिश रची थी. अदालती दस्तावेजों में कहा गया है कि फरवरी, 2009 में अब्दुर रहमान हाश्मिम सैयद नामक एक शख्स हेडली को लेकर पाकिस्तान के वजीरिस्तान इलाके में गया था. वहां हेडली और इलियास कश्मीरी की मुलाकात हुई थी.
उस मुलाकात के दौरान कश्मीरी ने कहा कि उसने हेडली द्वारा तैयार कोपेहेगन वीडियो की समीक्षा की है. उसने हेडली को सलाह दी कि पैगम्बर का कार्टून प्रकाशित करने वाले समाचार पत्र के दफ्तर पर ट्रक में लदे विस्फोटकों से हमले किए जायें. उल्लेखनीय है कि हेडली और राणा को डेनिस अखबार पर भी हमले की साजिश का आरोपी बनाया है.
अभियोजकों के मुताबिक शिकागो की एक जेल में बंद हेडली ने लश्कर के शिविर में प्रशिक्षण लिया था. उसने लश्कर के शिविर का फरवरी, 2002, अगस्त, 2002, अप्रैल, 2003 और दिसंबर, 2003 में दौरा किया था. इस दौरान उसने लश्कर के सरगनाओं के साथ मिलकर आतंकवादी हमलों की साजिश रची थी.
मुंबई हमले की साजिश के क्रम में साजिद मीर, अबू कहाफा और ‘लश्कर सदस्य डी’ ने हेडली को सलाह दी थी कि वह भारत जाकर उन स्थानों की टोह ले जहां आतंकी हमले किये जा सकते हैं. साजिश रचने की शुरुआत वर्ष 2005 में हुई थी. लश्कर के इन सदस्यों ने हेडली को यह भी सलाह दी कि वह भारत में पाकिस्तान से जुड़ी अपनी पहचान के साथ ही अपने मुस्लिम होने को छिपाये. अभियोजकों का कहना है कि इस नसीहत के बाद वर्ष 2006 में हेडली ‘दाउद गिलानी’ से डेविड कोलमैन हेडली हो गया. इसके लिए उसने फिलाडेल्फिया में जरूरी कागजी कार्रवाई भी पूरी की.
लश्कर सदस्यों ने हेडली को सलाह दी कि वह मुंबई में आव्रजन कार्यालय खोले ताकि प्रमुख स्थानों की टोह ली जा सके. हेडली भारत में खुद को अमेरिकी नागरिक बताता था. जून, 2006 में हेडली ने शिकागो का दौरा किया और राणा को अपने साथ लिया. पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक राणा की मदद से ही हेडली ने मुंबई में आव्रजन कार्यालय ‘फर्स्ट वर्ल्ड’ की बुनियाद रखी. राणा ने एक व्यक्ति को आदेश दिया कि वह इस कार्यालय के संदर्भ में आवश्यक कागजात तैयार करे. उसने हेडली को यह भी बताया कि भारत जाने का वीजा कैसे पाया जा सकता है.
अभियोजकों के अनुसार भारत जाने के वीजा के लिए आवदेन देते समय हेडली ने अपने पहले के नाम, पिता के नाम और यात्रा के मकसद के बारे में गलत जानकारी दी. जुलाई, 2006 में मेजर इकबाल ने मुंबई में ‘फर्स्ट वर्ल्ड’ की शुरुआत करने और दूसरी गतिविधियों के लिए हेडली को 25,000 अमेरिकी डॉलर की रकम दी। पूरी पृष्ठभूमि तैयार करने के बाद हेडली ने सितंबर, 2006, फरवरी, 2007, अप्रैल, 2008 और जुलाई, 2008 में मुंबई का दौरा किया.
उसकी इन यात्राओं का मकसद मुंबई में प्रमुख स्थानों की टोह लेना था. इसी वर्ष 26 नवंबर को मुंबई हमले को अंजाम दिया गया, जिनमें छह अमेरिकी नागरिकों सहित 166 लोग मारे गये. हेडली के हर भारत दौरे के वक्त मीर और मेजर इकबाल उसे वीडियो बनाने और टोह लेने के संदर्भ में सलाह देते थे। भारत का दौरा करने के बाद हेडली पाकिस्तान भी जाता था और वह अपने लश्कर के साथी मीर, मेजर इकबाल और अन्य से मुलाकात करता था. हेडली लश्कर के लोगों को मुंबई और भारत के अन्य प्रमुख स्थानों की तस्वीरें और वीडियो मुहैया कराता था.
मीर और मेजर इकबाल की यह भी सलाह दी थी कि वह भारत में बस जाये और प्रमुख स्थानों की तस्वीरें और वीडियो भेजता रहे. मुंबई का ताजमहल होटल लश्कर के निशाने पर प्रमुख रूप से था. हेडली को अन्य स्थानों की भी टोह लेने की नसीहत दी गई थी. हेडली ने भारत में प्रमुख स्थानों की टोह लेने की शुरुआत फरवरी, 2007 से की. मीर और मेजर इकबाल ने हेडली को सलाह दी थी कि वह ताज होटल की दूसरी मंजिल की पूरी पड़ताल करें, जहां मुख्य रूप से सम्मेलन कक्ष और बालरूम मौजूद हैं.
मुंबई के प्रमुख स्थानों की टोह लेने के बाद हेडली पाकिस्तान लौटा और अपने लश्कर के साथियों को सभी तस्वीरें और वीडियो मुहैया कराए. मार्च, 2008 में हेडली ने मीर, अबू कहाफा और अन्य से मुलाकात की. इस दौरान मुंबई में समुद्र के रास्ते पहुंचकर हमला करने को लेकर चर्चा की गई. लश्कर के सदस्यों ने हेडली से कहा कि वह नौका के जरिये मुंबई के आसपास के समुद्री इलाकों का दौरा करे. मीर ने हेडली को 1,000 डॉलर की भारतीय मुद्रा भी दी ताकि इस काम के लिए वह खर्च कर सके.
अदालत के दस्तावेजों में कहा गया है कि मार्च-अप्रैल, 2008 में मीर और कहाफा ने हेडली को एक ‘ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम’ (जीपीएस) डिवाइस देने के साथ ही इसका इस्तेमाल करने का प्रशिक्षण दिया. इसके बाद हेडली ने जीपीएस के माध्यम से मुंबई के तटीय इलाकों के सहारे से पड़ताल की. हेडली ने छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रेलवे स्टेशन और दूसरे स्थानों की टोह जीपीएस के माध्यम से ली. इन स्थानों की उसने वीडियो भी बनाई. इसके बाद वह पाकिस्तान गया और मीर एवं अन्य लोगों से मुलाकात की.
मीर ने जुलाई, 2008 में हेडली से कहा कि वह ताज होटल के आसपास के इलाकों की अतिरिक्त पड़ताल करे. इस बार मेजर इकबाल ने हेडली को 1,500 डॉलर की रकम दी ताकि वह ‘फर्स्ट वर्ल्ड’ का काम जारी रख सके. हेडली से यह भी कहा गया कि वह भविष्य में मुंबई के इस कार्यालय को बंद करके दिल्ली में दूसरा दफ्तर खोले ताकि वहां से गतिविधियां संचालित की जा सकें.
अभियोजकों ने आरोप लगाया है कि अबू कहाफा और उसके दूसरे साथियों ने मुंबई हमले के लिये कुछ युवकों को प्रशिक्षण दिया. इन युवकों को अत्याधुनिक हथियार चलाने, होटल के कमरों में घुसने, लोगों को बंधक बनाने और तैराकी सहित कई प्रशिक्षण दिये गये. पूरी साजिश रचे जाने के बाद पाकिस्तान से 10 आतंकवादी समुद्री रास्ते के जरिये मुंबई में दाखिल हुये.
हमले के दौरान आतंकवादी टेलीफोन के माध्यम से मीर, अबू कहाफा और मजहर इकबाल के साथ संपर्क में थे. ये लोग उस वक्त पाकिस्तान में मौजूद थे. हमले के दौरान एक-एक गतिविधि मसलन, आग लगाने, बंधकों को मारने और हथगोले फेंकने के बारे में आतंकवादियों को पाकिस्तान में बैठे उनके आका आदेश देते रहे. मेजर इकबाल ने हेडली को सलाह दी कि वह हमले के बाद अगली सूचना तक उससे संपर्क न करे. मुंबई हमले के बाद मार्च, 2009 में हेडली ने फिर से भारत के कुछ प्रमुख स्थानों की टोह लेना आरंभ किया. इस बार उसने दिल्ली के नेशनल डिफेंस कॉलेज और यहूदी समुदाय से जुड़े केंद्रों सहित अन्य कई स्थानों की पड़ताल की.