विश्व में तेजी से बढ़ रही प्रतिस्पर्धा के चलते अमेरिका को तेजी से विकास कर रहे भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों से विश्व नेता का दर्जा बनाए रखने के लिए कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.
प्रांतीय गवर्नर्स की एक बैठक को संबोधित करते हुए ओबामा ने कहा, ‘‘हम आज एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं, जहां पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा जुड़ाव और प्रतिस्पर्धा है. जब आप अपने प्रांतों में नयी नौकरियां और उद्योग विकसित करने का प्रयास करते हैं तो आपको सिर्फ एक दूसरे से नहीं, बल्कि भारत, चीन और ब्राजील जैसे अन्य देशों से भी स्पर्धा करनी पड़ती है.’’ ओबामा ने कहा कि अमेरिका के संदर्भ में यह सुनिश्चित करना होगा कि व्यापार करने के लिए यह सबसे अच्छी जगह है. उन्होंने कहा, ‘‘हमें कुशल और शिक्षित कामगार चाहिए, ताकि हम अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के मामले में और तीव्र तथा भरोसेमंद परिवहन और संपर्क नेटवर्क के मामले में आगे रह सकें. इसी तरह हम अमेरिका में नए रोजगार के अवसर ला सकते हैं और इसी तरह हम भविष्य में नेता बने रह सकते हैं.’’
ओबामा ने कहा, ‘‘इस तरह के आवश्यक निवेश करना किसी भी समय कठिन तो होगा, लेकिन यह उस समय और भी कठिन हो जाता है, जब संसाधनों का अभाव होता है. लगभग एक दशक के घाटे और ऐतिहासिक मंदी के बाद स्थिति और भी जटिल हो गई है.’’ {mospagebreak}
अमेरिकी उप राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी यही विचार व्यक्ति किये. उन्होंने कहा कि हालांकि अमेरिका अभी भी भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों से आगे है, लेकिन कई लोगों का मानना है कि उनका देश इनसे पीछे छूट चुका है. बाइडेन ने कहा, ‘‘मैं जानता हूं और आप भी जानते हैं, लेकिन कभी-कभी हमारे अपने लोगों को लगता है कि हम चीन और भारत को अपना भविष्य गवां चुके हैं. उन्होंने कहा, ''फिर भी हम दुनिया के किसी भी देश से बेहतर स्थिति में हैं और आर्थिक दृष्टि से 21वीं सदी हमारी ही होगी. हमारा सकल घरेलू उत्पाद चीन, जापान और जर्मनी के कुल जीडीपी से ज्यादा है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘आज की स्थिति में अमेरिका में औसत आय 50,000 डॉलर है, जबकि चीन में औसत आय 4,500 डॉलर है. मुझे लगता है कि हम उनसे बेहतर हैं और 21वीं सदी में हम ही विश्व के नेता का अपना दर्जा बनाए रखेंगे.’’ उन्होंने कहा,‘‘लेकिन हमारी प्राथमिकताएं अलग हैं. हम जानते हैं कि हमें लंबे समय से चले आ रहे घाटे को पाटना है. हमें भविष्य में कड़ी प्रतिस्पर्धा से मुकाबला करने के लिए शिक्षा, नई पहल और बुनियादी ढांचे के मामले में खुद को बेहतर ढंग से तैयार करना है.’’