साल 2009 के लोकसभा चुनावों के पहले अमेरिका, भारत में वाम दलों के सत्ता में आने की संभावना से चिंतित था. इन चुनावों में वाम दल अहम भूमिका निभा रहे थे.
उस साल 12 फरवरी को भारत स्थित अमेरिकी दूतावास ने कहा कि एक तरफ जहां, कांग्रेस और भाजपा अपने दम पर सत्ता में नहीं आएंगे, वहीं ‘अमेरिका-भारत के लिए सबसे बुरा पहलू ‘तीसरे मोर्चे’ की सरकार बनने की स्थिति में हो सकता है.’ विकीलीक्स की ओर से जारी दूतावास के एक संदेश में कहा गया है, ‘उन परिस्थितियों में, कम्युनिस्ट पार्टियों का गठबंधन में खासा प्रभाव रहेगा.’ भारत में अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव हुए थे.
तत्कालीन राजदूत डेविड सी मल्फोर्ड द्वारा हस्ताक्षर किए इस संदेश में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों नजदीकी अमेरिका-भारत संबंधों का समर्थन करती हैं.
यह संदेश तत्कालीन अमेरिकी विशेष दूत रिचर्ड हॉलब्रुक के लिए था. इसमें कहा गया है कि अगर इन दोनों पार्टियों को सरकार बनाने के लिए स्थानीय दलों के साथ गठबंधन करना पड़ा, ‘तो अमेरिका-भारत संबंधों के आगे बढ़ने की क्षमता प्रभावित होगी.’