महाराष्ट्र की सियासत में गुरुवार दिन बेहद अहम माना जा सकता है. सालों बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने मजूदरों के समर्थन में एक ही दिन रैली निकाली.
पहले ऐसा माना जा रहा था कि राज ठाकरे औऱ उद्धव ठाकरे फिर साथ दिखाई देने वाले हैं, लेकिन ऐसा हो नहीं सका. शिवसेना से अलग होने के बाद राज और उद्धव ठाकरे की एकबार भी मुलाकात नहीं हुई है. राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की रैली की वजह पुरानी ही है.
राज और उद्धव ठाकरे मराठी मानुष के उस मुद्दे पर साथ खड़े हुए, जिसे भुनाने की कोशिश में दोनों ही जुटे रहते हैं. इसबार दोनों के निशाने पर रहे बंद हो चुकीं मिलों के बेरोजगार मजदूर, जो अपने सिर पर छत चाहते हैं. ये मिलें उन इलाको में हैं, जहां मराठी बोलने वालों की तादाद ज्यादा है. यही वजह है कि शिवसेना और एमएनएस दोनों साथ हैं.
वजह भले ही राजनीतिक ही सही, लेकिन दोनों को साथ देखने की तमन्ना रखने वाले इससे खुश हैं.
फिलहाल ठाकरे भाइयों के साथ आने से महाराष्ट्र की सियासत तो गरमा ही गई है. राज और उद्धव के एक साथ नजर आने की एक वजह करीब आ रहा बीएमसी का चुनाव भी है. शिवसेना और एमएनएस दोनों को ही इस वक्त मिल मजदूरों का मुद्दा उठाने में फायदा नजर आ रहा है.
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