सरकार ने गुरुवार को पहली बार प्रतिबंधित संगठन उल्फा के नेताओं के साथ बिना शर्त बातचीत की. सरकार ने कहा कि वह असम में तीन दशक पुरानी विद्रोह की समस्या का ‘उचित एवं सम्मानजनक हल’ निकालने को लेकर ‘विश्वस्त’ हैं.
गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, ‘जैसा कि आप अवगत हैं कि उन्होंने (उल्फा ने) भारत सरकार और असम सरकार से उनके द्वारा उठाये गये मुद्दों का उचित एवं सम्मानजनक हल निकालने के लिए बिना शर्त बातचीत करने की पेशकश की थी.’
चिदंबरम ने उल्फा नेताओं से मुलाकात के बाद यह बात कही. उल्फा नेताओं ने बातचीत में शामिल होने से पहले गृह मंत्री से बातचीत की थी. उन्होंने कहा, ‘उन्होंने मुझसे मुलाकात की जो शिष्टताचार भेंट थी. यह प्राथमिक चरण है (बातचीत का)’. आपको (मीडिया को) सहयोग देना चाहिए. वे विश्वस्त महसूस करेंगे जिससे बातचीत के जरिये हल निकालने में मदद मिलेगी.’ {mospagebreak}
उल्फा के अध्यक्ष अरविन्द राजखोवा के नेतृत्व में संगठन के आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने गृह सचिव जी के पिल्लै के नेतृत्व में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ करीब एक घंटे तक बातचीत की. उल्फा के 31 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि बिना शर्त बातचीत हो रही है.
बैठक में असम के गृह सचिव एन के दास, अतिरिक्त महानिदेशक, असम पुलिस खगेन शर्मा, असम के गृह आयुक्त विष्णु बरूआ, केन्द्र के वार्ताकार पी सी हाल्दर, सचिव (आतंरिक सुरक्षा) यू के बंसल और खुफिया ब्यूरो के प्रमुख एन संधु ने भाग लिया. पांच फरवरी को उल्फा ने घोषणा की थी वह असम के लोगों की इच्छाओं का सम्मान करते हुए केन्द्र के साथ बिना शर्त बातचीत करेगा. उसने अपने हिंसक कृत्यों के लिए भी माफी मांगी.
बातचीत में राजखोवा के साथ उपाध्यक्ष प्रदीप गोगोई, राजनीतिक सलाहकार भीमकांत बरगोएन, विदेश सचिव चित्रवन हजारिका, सांस्कृतिक सचिव प्रांति डेका, प्रचार सचिव मिथिंगा दैमरी और डिप्टी कमांडर इन चीफ राजू बरूआ ने भी हिस्सा लिया. उल्फा प्रतिनिधिमंडल बुधवार शाम दिल्ली पहुंचा और सुरक्षा कर्मी उन्हें किसी अज्ञात स्थल पर ले गये. {mospagebreak}
राष्ट्रीय राजधानी रवाना होने से पूर्व उल्फा नेताओं ने असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई से मुलाकात की और केन्द्र के साथ बातचीत आगे बढ़ाने में उनका सहयोग मांगा. गोगोई ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि केन्द्र के साथ बातचीत सफल रहेगी और उन्होंने मुझसे इस बारे में विचार विमर्श किया कि शांति प्रक्रिया को कैसे आगे बढ़ाया जाये.’
उल्फा नेताओं को हाल में जेल से छोड़ा गया था और उन्होंने सरकार के साथ बिना शर्त बातचीत का निर्णय किया था. लेकिन संगठन के कमांडर इन चीफ परेश बरूआ के नेतृत्व वाला धड़ा बातचीत का विरोधी है. उल्फा नेताओं के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से उनके केरल से लौट आने के बाद 13 फरवरी को मुलाकात करने की संभावना है.