पिछले लगभग सवा साल से राजनीति से दूर रहीं तेजतर्रार सन्यासिन नेता उमा भारती ने भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के विचारों से पूरी तरह सहमति जताते हुए कहा है कि निकट भविष्य में वह भाजपा के लिए अराजनीतिक तरीके से काम करने पर विचार कर रही हैं.
उमा ने आज यहां अपने सरकारी निवास पर संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘आडवाणी ने अपने ब्लाग में जिस घटनाक्रम का जिक्र किया है, वह अक्षरश: सत्य है. मैं अभी विचार कर रही हूं कि क्या इन मुद्दों पर अराजनीतिक तरीके से काम किया जा सकता है.’ आडवाणी ने शनिवार को अपने ब्लाग में लोकसभा चुनाव में पार्टी की पराजय के लिए अति आत्मविश्वास और आत्ममुग्धता को जिम्मेदार ठहराते हुए उत्तरप्रदेश में पार्टी के कमजोर होने और उमा भारती को प्रदेश की जिम्मेदारी संभालने का सुझाव दिया है.
आडवाणी ने लिखा है, ‘नितिन गडकरी ने स्वयं उमा भारती से बात की है. इसके बाद उमा ने मुझसे बात की. मेरी सलाह पर वह उत्तरप्रदेश में पार्टी इकाई को मजबूत बनाने पर राज़ी हो गई हैं.’ इससे पहले आज सुबह उमा ने कहा, ‘मैं आडवाणी को हमेशा अपना नेता मानूंगी, क्योंकि उनके जैसा ईमानदार चरित्र भारत की राजनीति में बेमिसाल है. नितिन गडकरी को मैं अपना बड़ा भाई और एक संवेदनशील एवं ईमानदार नेता मानती हूं’’.{mospagebreak}
उमा ने कहा कि भाजपा ने मुझे जो भी दायित्व सौंपा.. उसे मैंने सफलतापूर्वक पूरा किया है. अब उत्तरप्रदेश का दायित्व देने की बात सामने आई है, तो मैं इसके लिए जरूर राह निकालूंगी.
उमा ने आज भोपाल में संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा, ‘‘चाहे कर्नाटक में तिरंगा मामला हो, बिहार में लालू-राबड़ी अथवा मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह की पराजय और बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ मुहिम.. मैं नहीं मानती की भाजपा ने मेरा दुरूपयोग किया है.. मुझे गर्व है कि पार्टी ने मुझे इन कामों के लायक समझा. लेकिन फिलहाल मैं अभी राजनीति से दूर रहना चाहती हूं और संभवत: 14 जनवरी को मकर संक्रांति के बाद उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में अराजनीतिक रूप से सक्रिय होना चाहूंगी’’. राजनीतिक सक्रियता संबंधी मुद्दों के बारे में उमा ने कहा कि इनमें भ्रष्टाचार, नक्सल एवं आतंकवाद, राजनीति में अपराधीकरण, ईवीएम से खिलवाड़, महिला आरक्षण विधेयक में पिछड़ी महिलाओं को उचित स्थान, राममंदिर का निर्माण आदि शामिल होंगे.
आडवाणी के ब्लाग में उन्हें लेकर उत्तरप्रदेश के मामले का जिक्र होने पर उन्होंने कहा, ‘उत्तरप्रदेश वाकई बहुत बड़ी चुनौती है, जिसका मुकाबला करने का सामर्थय यदि आडवाणीजी मुझमें देखते हैं, तो मैं इस बारे में कोई राह जरूर निकालूंगी. अभी मैं सिर्फ 50 वर्ष की हूं, इसलिए मेरे पास कोई भी जिम्मेदारी निभाने का समय और सामथ्र्य दोनों है’.{mospagebreak}
उमा ने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में आडवाणी को अपना नेता मानकर उनकी पार्टी भारतीय जनशक्ति :भाजश: ने भाजपा का समर्थन किया था. इसके बाद भाजश को राजग का हिस्सा बनाने के लिए राजग संयोजक शरद यादव एवं भाजपा नेता आडवाणी को प्रस्ताव भेजा गया था. इस बारे में उन्होंने पिछले वर्ष नवंबर में मुलाकात करने को कहा था, लेकिन इस बीच उनके परिवार में एक बड़ी त्रासदी हुई और उन्होंने खुदको लगभग सवा साल तक राजनीति से अलग कर लिया. हालांकि वह अब भी भाजश की सदस्य हैं. राजनीति में उनकी भविष्य की रूचि को लेकर पूछने पर उमा ने कहा कि वह अभी कुछ और समय इससे दूर रहना चाहती हैं और दो-तीन माह में अपनी राजनीतिक दिशा एवं दशा तय करेंगी.
साथ ही उन्होंने साफ किया कि वह राजनीति छोड़ नहीं रही हैं और आडवाणी के सुझाव पर उनके ब्लाग में उल्लेखित मुद्दों पर अराजनीतिक तरीके से काम करना चाहती है.