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सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा, नहीं थी थॉमस पर केस की जानकारी

केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि सीवीसी थॉमस को नियुक्त करने वाली समिति उनके खिलाफ आरोपपत्र से अनजान थी.

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सरकार ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि भ्रष्टाचार के एक मामले में मुख्य सतर्कता आयुक्त पी जे थॉमस के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने और मामले की सुनवाई के लिए केरल सरकार द्वारा अनुमति दिए जाने का मुद्दा उच्चाधिकार प्राप्त उस समिति के समक्ष नहीं लाया गया था जो इस पद पर चयन के लिए गठित की गई थी.

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सरकार की ओर से यह बात अटॉर्नी जनरल जी ई वाहनवती ने प्रधान न्यायाधीश एस एच कपाड़िया की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कही. पीठ यह जानना चाहती थी कि क्या थॉमस के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने और मुकदमे की अनुमति दिए जाने का मुद्दा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति के समक्ष लाया गया था.

अटार्नी जनरल ने कहा, ‘यह समिति के समक्ष नहीं लाया गया था. भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी के तहत अभियोजन के लिए अनुमति संबंधी सामग्री समिति के समक्ष पेश नहीं की गई थी. समिति के समक्ष पेश बायोडाटा में ऐसा कोई पहलू नहीं था.’

वाहनवती ने यह बात एक सवाल के जवाब में कही. पीठ ने पूछा था कि क्या आरोपपत्र और मुकदमे की अनुमति से संबंधित सामग्री समिति के समक्ष पेश की गई थी.

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पीठ ने कहा, ‘हम मामले के गुण दोष पर नहीं जा रहे हैं. हम जानना चाहते हैं कि क्या आरोपपत्र और मुकदमे की अनुमति से संबंधित सामग्री समिति के समक्ष पेश की गई थी या नहीं.’

इसके अलावा पीठ ने पूछा, ‘हम जानना चाहते हैं कि क्या प्रासंगिक सामग्री समिति के समक्ष पेश की गई थी और क्या पूर्व में ये दस्तावेज समिति के समक्ष लाए गए थे.’ पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति के आर राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार हैं.

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