केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने नये आर्थिक परिवेश और निवेशकों के हित को केन्द्र में रखकर तैयार किये गये कंपनी विधेयक 2011 को मंजूरी दे दी. संसद की स्थायी समिति की जांच परख से गुजर चुके इस विधेयक के संसद में पारित होने पर यह आधी सदी पुराने कंपनी अधिनियम का स्थान ले लेगा.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कापरेरेट कार्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘मंत्रिमंडल ने कंपनी विधेयक 2011 को मंजूरी दे दी है. इसे संसद के चालू शीतकालीन सत्र में पेश किये जाने की संभावना है.’
वित्त मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति इस विधेयक का निरीक्षण कर चुकी है. कुछ अन्य मंत्रालयों की समितियों ने भी इसे जांच परखा है, इसे पुराने पड़ चुके कंपनी अधिनियम के बदले नये वैश्विक परिदृश्य के अनुरुप तैयार किया गया है. विधेयक में कंपनियों की सामाजिक जवाबदेही, कंपनियों में स्वतंत्र निदेशकों के लिये निश्चित समयावधि के अलावा जनता से धन जुटाने के सख्त प्रावधान शामिल किये गये हैं.
विधेयक में कंपनियों को अपने पिछले तीन साल के औसत मुनाफे का दो प्रतिशत सामाजिक जवाबदेही (सीएसआर) गतिविधियों के लिये रखने और इस संबंध में अपनाई गई प्रक्रिया के बारे में शेयरधारकों को जानकारी देने का प्रस्ताव किया गया है.
विधेयक शुरू में वर्ष 2008 में लोकसभा में पेश कर दिया गया था. लेकिन सरकार बदलने के कारण यह निरस्त हो गया, अगस्त 2009 में इसे फिर पेश किया गया. वर्ष 2009 में विधेयक को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने में देरी हुई क्योंकि सेबी की शक्तियों को लेकर वित्त मंत्रालय और कापरेरेट कार्य मंत्रालय के बीच सहमति नहीं बन पा रही थी. सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय, योजना आयोग और कापरेरेट कार्यमंत्रालय के बीच सहमति बन जाने पर इसे आगे बढ़ाया गया.