scorecardresearch
 

संसद में जोरदार हंगामा, बैठक दिनभर के लिए स्थगित

विपक्षी दलों ने भ्रष्टाचार के विभिन्न मुद्दों को लेकर बुधवार को सरकार को घेरने की नीयत से संसद के दोनों सदनों में जमकर हंगामा किया जिसके चलते लोकसभा और राज्यसभा की बैठकें एक बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गयीं.

Advertisement
X

संसद के शीतकालीन सत्र का पहला दिन मंगलवार को आशंकाओं के विपरीत शांति से गुजर गया लेकिन यह शांति ज्यादा देर नहीं रही और विपक्षी दलों ने भ्रष्टाचार के विभिन्न मुद्दों को लेकर बुधवार को सरकार को घेरने की नीयत से संसद के दोनों सदनों में जमकर हंगामा किया जिसके चलते लोकसभा और राज्यसभा की बैठकें एक बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गयीं.

Advertisement

आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाला, 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाला और राष्ट्रमंडल खेलों में भ्रष्टाचार के मुद्दों पर विपक्ष ने ऐसे सभी मामलों की जांच के लिये संयुक्त संसदीय समिति के गठन की मांग को लेकर दोनों सदनों में भारी हंगामा किया जिससे दोनों सदनों में प्रश्नकाल नहीं चल सका.

लोकसभा में भाजपा, जदयू, सपा, शिवसेना, वाम दल, अन्नाद्रमुक समेत विपक्षी दलों के सदस्य इन घोटालों की जेपीसी से जांच कराने की मांग के समर्थन में नारेबाजी करते हुए अध्यक्ष के आसन के समीप आ गए. अन्नाद्रमुक सदस्य अपने हाथों में संचार मंत्री ए राजा की तस्वीर लिये हुए थे जबकि भाजपा, जद यू समेत अन्य दल के सदस्य राष्ट्रमंडल खेल में अनियमितता, 2जी स्पेक्ट्रम और आर्दश हाउसिंग घोटाले की जेपीसी से जांच कराये जाने की मांग कर रहे थे. {mospagebreak}

लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने विपक्षी सदस्यों से प्रश्नकाल चलने देने का अनुरोध किया. लेकिन शोर शराबा थमता न देख उन्होंने कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. दोपहर 12 बजे बैठक दोबारा शुरू होने पर यही स्थिति थी. उपाध्यक्ष करिया मुंडा ने हंगामे के बीच आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाने के बाद बैठक दिनभर के लिए स्थगित कर दी.

Advertisement

कई सालों बाद मंगलवार को पहली बार ऐसा देखने में आया था कि संसद के किसी सत्र का पहला दिन शांति से गुजरा था. उधर, राज्यसभा में बैठक शुरू होते ही विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हुए कहा, ‘उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार होने के कई मामले पिछले संसद सत्र के बाद से अप्रत्याशित तरीके से सामने आये हैं.’

उन्होंने कहा, ‘यह दु:खद है कि जिस 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाला मुद्दे को हम बीते करीब एक वर्ष से संसद में उठा रहे हैं. उससे तथा राष्ट्रमंडल खेलों में भ्रष्टाचार और मुंबई के हालिया आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाला मामले से निपटने के बजाय सरकार इन मुद्दों की गंभीरता को कम कर रही है. सरकार ने केंद्रीय सतर्कता आयोग और सीबीआई जैसी संस्थाओं को नुकसान पहुंचाया है.’ {mospagebreak}

जेटली के इतना कहते ही सत्ता पक्ष के सदस्यों ने आपत्ति जताना शुरू कर दिया. इसके बाद विपक्ष और सत्ता पक्ष के सदस्यों के बीच तीखी नोंकझोंक शुरू हो गई. हंगामे के बीच ही जेटली ने मांग की, ‘इस मुद्दे पर प्रश्नकाल स्थगित कर चर्चा होनी चाहिये.’

इस पर सभापति हामिद अंसारी ने कहा, ‘पहले दिन हुई कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में इस सत्र में चर्चा कराये जाने के लिये जिन मुद्दों को तय किया गया है, उनमें विपक्ष के नेता द्वारा उठाया गया मुद्दा भी शामिल है. लेकिन इस पर नियमों के तहत चर्चा होगी. चर्चा करने का यह तरीका नहीं है.’ इस पर भी हंगामा जारी रहा. हंगामा थमते न देख अंसारी ने उच्च सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिये स्थगित कर दी. दोपहर 12 बजे बैठक फिर शुरू होने पर दोनों सदनों में वही नजारा देखने को मिला.

Advertisement

हंगामे के बीच ही लोकसभा में उपाध्यक्ष करिया मुंडा और राज्यसभा में उप सभापति के रहमान खान ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाये. हंगामा थमते न देख कुछ ही देर बाद दोनों सदनों की बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी. पिछले कई सालों से ऐसा देखने में आता रहा है कि विपक्षी दल किन्ही मुद्दों पर सरकार को घेरने के लिए सत्र के शुरूआती दो तीन दिन जम कर हंगामा करते हैं जिससे सदन की कार्यवाही बाधित होती है. {mospagebreak}

इस बार भी राष्ट्रमंडल खेलों में अनियमितता तथा आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले को लेकर संसद के स्थगित होने की आशंका थी लेकिन लोकसभा में कामकाज सामान्य तरीके से हुआ. मौजूदा सदस्य अर्जुन सेनगुप्ता के निधन के चलते राज्यसभा की बैठक दिनभर के लिए स्थगित कर देनी पड़ी थी. लोकसभा में हालांकि मंगलवार को दोपहर बाद सरकार को बड़ी असहज स्थिति का सामना करना पड़ा.

भोजनावकाश के बाद तीन बजे सदन की बैठक शुरू होने पर कार्यसूची के अनुसार सदन में कोई विधायी कामकाजी बाकी नहीं बचा था. इसी के चलते अमूमन अधिक काम के चलते सदन के पटल पर रखवा लिए जाने वाले नियम 377 के तहत आने वाले मसलों को सदस्यों को उठाने की अनुमति दी गयी. हालत यह थी कि तीन बजे से साढ़े चार बजे तक सदस्य नियम 377 के तहत ही मामले उठाते रहे और कामकाज के अभाव में निर्धारित समय से करीब डेढ़ घंटा पूर्व ही सदन की बैठक दिनभर के लिए स्थगित कर देनी पड़ी.

Advertisement
Advertisement