सेना ने ब्रह्मोस मिसाइल के ब्लॉक-3 संस्करण को इस्तेमाल में लेने का सफल परीक्षण किया. यह मिसाइल पहाड़ियों में स्थित अगम्य लक्ष्य को भी भेदने में सक्षम है.
सूत्रों ने बताया कि यह परीक्षण यहां एक फायरिंग रेंज में पूर्वाह्न के करीब 11 बजे किया गया और यह मिशन के मापदण्डों पर खरा उतरा. ब्रह्मोस के ब्लॉक-3 संस्करण पर्वतीय भू भाग में ऊपर की ओर चढ़ने में सक्षम है और यह गोता लगाते हुए पहाड़ियों के बीच में स्थित अगम्य निशाने को भेद सकती है.
क्रूज मिसाइल का यह 25वां परीक्षण था. इसे सेना और नौसेना में पहले ही शामिल किया जा चुका है. पर्वतीय युद्ध के लिए भी इसे सेना द्वारा शामिल किए जाने की उम्मीद है. यह मिसाइल जमीनी लक्ष्य को बहुत कम ऊंचाई से भेद सकती है और यह चुनिंदा स्थानों पर अभियान के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जा रही है.
दुनिया में सबसे तेज गति वाले क्रूज मिसाइलों में शुमार ब्रह्मोस में ईंधन की द्विस्तरीय दहन प्रणाली है. भारत और रूस ने इसे संयुक्त रूप से विकसित किया है. ब्रह्मोस रडार की निगरानी से बच निकलने वाली ऐसी मिसाइल है, जो पनडुब्बी, जहाज और विमान या भूमि से दागी जा सकती है.
इस मिसाइल के पनडुब्बी और हवा से दागे जाने वाले संस्करण फिलहाल विकास की विभिन्न प्रक्रिया में हैं और आने वाले एक दो साल में इनके प्रायोगिक परीक्षण की उम्मीद है. ‘दागो और भूल जाओ’ की विशेषता वाली यह मिसाइल विशेष मोबाइल लांचरों से एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाई जा सकती हैं तथा यह लम्बवत एवं क्षैतिज रूप में दागी जा सकती हैं.