माकपा के आधिकारिक रुख को दरकिनार कर कुडनकुलम जाने के लिए तैयार पार्टी के वरिष्ठ नेता वी एस अच्युतानंदन को तमिलनाडु पुलिस ने मंगलवार को सीमावर्ती शहर केलीक्काविला के समीप रोक दिया.
अच्युतानंदन पमराणु विरोधी प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए कुडनकुलम जाने वाले थे. माकपा नेता की कार जैसे ही सीमावर्ती शहर में पहुंची, उसे तमिलनाडु पुलिस के एक अधिकारी ने रोक कर 88 वर्षीय नेता से सुरक्षा संबंधी कारणों का हवाला देते हुए आगे न जाने का अनुरोध किया.
अच्युतानंदन ने यह अनुरोध मान लिया. उन्होंने कहा कि वह परमाणु विरोधी प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए तमिलनाडु के तटवर्ती गांव न जा पाने के कारण निराश हैं लेकिन वह समीपवर्ती राज्य के लिए कानून व्यवस्था की समस्या खड़ी नहीं करना चाहते.
केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ने पुलिस अधिकारियों से कहा, ‘मैं नहीं चाहता कि आपके राज्य में कानून व्यवस्था की समस्या हो. मैं केवल तमिलनाडु में शांति चाहता हूं. इसलिए मैं आपका अनुरोध स्वीकार कर लौट रहा हूं.’ अच्युतानंदन ने हालांकि कहा कि उनका दृढ़ मत है कि परमाणु संयंत्र खतरनाक हैं.
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने भारत अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते के विरोध में संप्रग सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. पार्टी नेतृत्व पर कटाक्ष करते हुए अच्युतानंदन ने कहा, ‘मैंने तब से अब तक अपना रुख नहीं बदला है.’
उन्होंने कहा, ‘मेरा इरादा उदयकुमार की अगुवाई में चल रहे परमाणु संयंत्र विरोधी आंदोलन के प्रति एकजुटता दिखाना था. मैं वहां नहीं पहुंच सका और अपना संदेश उन्हें नहीं दे सका, इसकी वजह से निराश हूं.’ सीमा के दोनों ओर बड़ी संख्या में लोग खड़े थे और अच्युतानंदन के पक्ष में नारे लगा रहे थे. माकपा के केंद्रीय और राज्य नेतृत्व ने अच्युतानंदन के फैसले से दूरी बना रखी है.
पार्टी ने स्पष्ट कर दिया था कि वह परमाणु ऊर्जा के खिलाफ नहीं है. माकपा के महासचिव प्रकाश करात ने पार्टी के मुखपत्र ‘देशाभिमानी’ में कहा है कि 15,000 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद तैयार हुए संयंत्र को बंद करने की मांग न तो व्यवहारिक है और न ही देश के हित में है.