राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पंचायतीराज संस्थाओं को हस्तांतरित किये गये पांच विभागों की जिला स्तरीय गतिविधियों का सुगम हस्तांतरण सुनिश्चित करने के लिये जिला परिषदों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों एवं अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों के साथ बेहतर समन्वय स्थापित कर कार्य सम्पादित करने के निर्देश दिये हैं.
गहलोत ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुये कहा कि पांचों विभागों के खाली पदों को भरने की कार्यवाही शुरु कर दी गई है जिसके तहत शिक्षकों के 50 हजार पद तथा सम्बन्धित विभागों के सात हजार पदों को नई भर्ती के माध्यम से भरा जायेगा.
उन्होंने बताया कि नियमित भर्ती प्रक्रिया में लगने वाले समय को देखते हुये राज्य सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था की है. इसके तहत हस्तान्तरित पांचों विभागों से इसी साल सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों तथा कर्मचारियों को पे माइनस पेंशन का विकल्प देकर उनकी सेवायें दो साल या स्थाई नियुक्ति होने तक में से जो भी पहले हो, की अवधि तक ली जा सकेगी.
गहलोत ने कहा कि इसी प्रकार जिलों की स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार स्थानीय रिटायर्ड अधिकारियों या कर्मचारियों की सेवायें स्क्रीनिंग कमेटी के माध्यम से दो वर्ष के लिये चयन के आधार पर ली जा सकेंगी. उन्होंने बताया कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के ब्लाक स्तर पर अभी कोई अधिकारी पदस्थापित नहीं है जबकि लगभग एक हजार करोड़ रुपये की लागत की योजनायें क्रियान्वित की जा रही है.{mospagebreak}
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसे देखते हुये निकट भविष्य में 249 ब्लाक पर सामाजिक सुरक्षा अधिकारी का नया पद सृजित कर नियुक्ति देने का निर्णय लिया गया है ताकि यह सभी अधिकारी योजनाओं का क्रियान्वयन बेहतर तरीके से करवा सकें.
गहलोत ने बताया कि 31 अक्तूबर को सभी जिला मुख्यालयों पर प्रभारी मंत्रियों की अध्यक्षता में पंचायतीराज सशक्तीकरण सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा. सम्मेलन में जिले के प्रभारी मंत्री व जनप्रतिनिधि मौजूद रहेंगे.
गहलोत ने बताया कि पंचायतीराज संस्थाओं के सुदृढीकरण के लिये पांच विभागों से संबंधित ग्रामीण क्षेत्र की समितियां अब पंचायतीराज व्यवस्था के तहत गठित स्थायी समितियों में यथासंभव समाहित हो जायेगी.