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राणा पर आए फैसले से निराश नहीं सरकार: आंतरिक सुरक्षा सचिव

सरकार ने कहा कि अमेरिकी अदालत में तहरव्वुर राणा के मामले में हुआ फैसले से भारत को कोई झटका नहीं लगा है क्योंकि भारत अन्य देशों में आतंकी संदिग्धों पर चलने वाले मामलों पर पूरी तरह भरोसा नहीं करता.

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सरकार ने कहा कि अमेरिकी अदालत में तहरव्वुर राणा के मामले में हुआ फैसले से भारत को कोई झटका नहीं लगा है क्योंकि भारत अन्य देशों में आतंकी संदिग्धों पर चलने वाले मामलों पर पूरी तरह भरोसा नहीं करता.

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अमेरिका की एक अदालत ने मुंबई हमलों के मामले में आरोपी पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक राणा को हमलों में सहयोग करने के आरोप से बरी कर दिया. हालांकि उसे लश्कर-ए-तय्यबा को साज-ओ-सामान उपलब्ध कराने और डेनमार्क में एक आतंकवादी साजिश में मदद करने का दोषी ठहराया गया है.

गृह मंत्रालय में आंतरिक सुरक्षा के सचिव यू.के. बंसल ने कहा, ‘मैं इसे झटके के तौर पर नहीं देखता क्योंकि हमारे मामले में अब भी जांच चल रही है.’ बंसल ने कहा, ‘राणा और उसके सह-आरोपी डेविड हैडली के खिलाफ भारत में मुकदमा हमारी अपनी जांच पर निर्भर करता है जो भारतीय जांच एजेंसियां कर रहीं हैं.’ उन्होंने कहा, ‘भारत में आतंकवाद से निपटने के मामले में हम अन्य देशों के इस संबंध में चलने वाले मुकदमे पर पूरी तरह भरोसा नहीं करते.’

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बंसल ने कहा कि सरकार 26/11 के आरोपियों के खिलाफ अपनी जांच के आधार पर अदालत में जाएगी. उन्होंने कहा, ‘मामले में जांच चल रही है. जांच पूरी होने पर हम अदालत में साक्ष्य पेश करेंगे.’ बंसल ने कहा कि जब भी कोई जांच एजेंसी अदालत में मामला चलाती है तो उसे हमेशा सफलता की उम्मीद रहती है.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) 26/11 के हमले के मामले में हैडली और राणा के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर सकती है और जांच फिलहाल जारी है. बंबई उच्च न्यायालय ने इस साल फरवरी में 26/11 के हमलों के मामले में दोषी पाकिस्तानी नागरिक अजमल कसाब को मौत की सजा सुनाने के निचली अदालत के फैसले पर अपनी मुहर लगाई थी.

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